भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर की ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी संग हाथ मिलाती तस्वीरों ने पूरी दुनिया का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया था। जयशंकर ने 15 जनवरी को ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी और विदेश मंत्री हुसैन अमीर-अब्दुल्लाह्यान से मुलाक़ात की थी। इसके ठीक एक दिन बाद ही आधी रात को ईरान की तरफ से आतंक की पनाहगाह पाकिस्तान के टेरर कैम्प को निशाना बनाने की खबर ने खलबली मचा दी। ईरान के इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (आईआरजीसी) ने दावा किया है कि उसने पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में जैश उल-अदल आतंकवादी समूह से संबंधित दो ठिकानों पर हमला किया और उन्हें नष्ट कर दिया। स्थनीय मेहर समाचार एजेंसी ने बताया कि कुहे सब्ज़ क्षेत्र में लक्षित जैश उल-अदल के ठिकाने आतंकवादी समूह के सबसे बड़े अड्डों में से एक थे। ईरानी राज्य मीडिया ने बताया कि इन ठिकानों पर मिसाइलों और ड्रोनों से हमला किया गया और उन्हें नष्ट कर दिया गया।
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पाकिस्तानी सेना या सरकारी अधिकारियों ने जैश उल-अदल समूह पर ईरान के हमलों की न तो पुष्टि की और न ही इनकार किया। रॉयटर्स ने बताया कि आतंकवादी समूह ने पहले भी पाकिस्तान के साथ सीमा क्षेत्र में ईरानी सुरक्षा बलों पर हमले किए हैं। जैश अल-अदल 2012 में स्थापित एक सुन्नी आतंकवादी समूह है जो व्यापक रूप से पाकिस्तान में सीमा पार संचालित होता है। ईरान ने सीमावर्ती इलाकों में उग्रवादियों के खिलाफ लड़ाई लड़ी है, लेकिन पाकिस्तान पर मिसाइल और ड्रोन हमला ईरान के लिए अभूतपूर्व कदम है।
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हमलों की रिपोर्ट ऐसे समय में आई है जब क्षेत्र में पहले से ही चनाव चरम पर है। गाजा में इजराइल और हमास के बीच चल रहे युद्ध के व्यापक रूप से फैलने की आशंका है। पिछले महीने ही पाकिस्तान के आतंकवादी समूहों ने ईरान के सिस्तान-बलूचिस्तान के एक पुलिस स्टेशन पर हमला किया था। इस हमले में 12 पुलिसकर्मी मारे गए थे। इसके बाद ईरान ने पाकिस्तान को अपनी सीमा में मौजूद आतंकवादियों को नियंत्रित करने की धमकी दी थी।