ईरान की तरफ से इजरायल पर बहुत बड़ा हमला किया जा सकता है। ईरान के हमले की प्लानिंग का दो रिपोर्ट्स में खुलासा हुआ है। इन रिपोर्ट्स ने इजरायल के साथ साथ अमेरिका की भी चिंता बढ़ा दी है। इजराटल में विनाश को लेकर दो रिपोर्ट जारी हुई है। पहली रिपोर्ट पेंटागन की है जबकि दूसरी रिपोर्ट ईरानी सेना की मिलिट्री विंग आईआरजीसी की है। सूत्रों से जो जानकारी मिली है उसके मुताबिक ईरान ने इजरायल में चार दिनों तक एयर ऑपरेशन करने का प्लान तैयार किया है। इस खबर के बाद सवाल उठने लगे हैं कि क्या इस बार अमेरिका इजरायल को बचा पाएगा।
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ईरान की तरफ से मंडरा रहे अब तक के सबसे बड़े खतरे की वजह से तेल अवीव से वाशिंगटन तक हड़कंप मचा हुआ है। तमाम तरह के एहतियात इसलिए बरते जा रहे हैं क्योंकि ईरान 72 घंटे के भीतर इजरायल पर बहुत बड़ा हमला कर सकता है। अमेरिकी रक्षा मंत्रालय के एक अधिकारी की तरफ से ऐसी बात कही गई है। ये ऑपरेशन तीन-चार दिनों का हो सकता है। संयुक्त राष्ट्र में ईरान के प्रतिनिधि आमिर ईरवानी ने कहा है कि इजरायल को ईरान अकल्पनीय दंग देगा। ईरान के नए प्लान का खुलासा नए राष्ट्रपति मसूद पजेश्कियान के दो कदम को देखकर लगाया जा सकता है। उन्होंने ईरानी परमाणु कार्यक्रम के चीफ मोहम्मद इस्लामी का कार्यकाल बढ़ा दिया है। इतना ही नहीं मसूद ने ईरानी परमाणु कार्यक्रम को रफ्तार देने वाले अब्बास अराकची को ईरान का विदेश मंत्री नियुक्त किया है। मतलब एटमी प्रोग्राम से जुड़े दो लोगों को बड़ी जिम्मेदारी मिली है।
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इस खतरे को देखते हुए अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस ने संयुक्त प्लान बना लिया है। अमेरिका ने इजरायल को 29,285 करोड़ रुपए के हथियार देने का ऐलान किया है। अमेरिका के रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन ने पश्चिम एशिया में मिसाइल पनडुब्बी भेजने का आदेश दिया है और यूएसएस अब्राहम लिंकन’ विमानवाहक पोत स्ट्राइक ग्रु’ को और तेजी से इलाके की तरफ बढ़ने का निर्देश दिया है। अमेरिकी रक्षा मंत्रालय ने रविवार को यह जानकारी दी। ऑस्टिन ने ये आदेश ऐसे समय में जारी किए हैं, जब अमेरिका और उसके सहयोगी तेहरान में हमास नेता इस्माइल हनिया और बेरूत में प्रमुख हिजबुल्ला कमांडर फौद शुकुर की हत्या के बाद क्षेत्र में बढ़ते तनाव को कम करने के लिए इजराइल और हमास के बीच संघर्ष-विराम समझौता कराने की कोशिशों में जुटे हैं। अधिकारियों को इन हत्याओं के बाद ईरान और हिजबुल्ला द्वारा जवाबी हमले किए जाने की आशंका है। यही कारण है कि अमेरिका पश्चिम एशिया क्षेत्र में अपनी सैन्य उपस्थिति बढ़ा रहा है।