ईरान ने सात साल बाद सऊदी अरब में अपने दूतावास को फिर खोल दिया। रियाद में 6 जून को यह दूतावास खुला। इसके साथ ही खाड़ी के दो अहम देशों के बीच राजनयिक रिश्ते फिर बहाल हो गए। इस मौके पर दूतावास परिसर में समारोह भी हुआ। इसमें कई राजनयिक शामिल हुए। ईरान के उप विदेश मंत्री ने कहा कि यह दिन ईरान और सऊदी अरब के रिश्तों के लिए अहम है। हमें उम्मीद है कि इससे क्षेत्र स्थिरता और विकास की तरफ आगे बढ़ेगा।
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चीन का उदय
विशेषज्ञों के अनुसार, ईरान-सऊदी अरब संबंधों में आई नरमी का पश्चिम एशियाई भू-राजनीति पर विशेष रूप से चीन द्वारा निभाई गई भूमिका के संदर्भ में बड़ा प्रभाव पड़ेगा। चीन स्पष्ट रूप से अमेरिकी प्रभाव वाले क्षेत्र में उपलब्धि हासिल करने में काफी एक्टिव था। बीजिंग ने शांति बहाल करने की दिशा में कदम बढ़ाते हुए अंतरराष्ट्रीय शांति-निर्माण के लिए पश्चिम एशिया में अपनी राजनयिक और राजनीतिक साख स्थापित करने के लिए ये दांव चला। यह महत्वपूर्ण है कि चीन इस सौदे का हस्ताक्षरकर्ता है। कहा जाता है कि दिसंबर 2022 में शी की रियाद यात्रा के दौरान चीन की भूमिका शुरू हुई थी। 2023 में ईरानी प्रधानमंत्री इब्राहिम रायसी ने चीन का दौरा किया और शी से मुलाकात की। इसके बाद शुरू हुई वार्ता 9 मार्च को हस्ताक्षर के साथ समाप्त हुई।
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ईरान और सऊदी अरब दोनों के पास संबंध बहाल करने को लेकर कई मजबूरियां थी। विशेष रूप से, सऊदी अरब और ईरान दोनों के पास समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर कारण थे। सऊदी के बाइडेन प्रशासन के साथ संबंध बेहद ही ठंडे स्तर पर हैं। ईरान ने 2021 में चीन के साथ एक दीर्घकालिक रणनीतिक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।