ब्रिटेन सरकार की आतंकवाद को रोकने संबंधी एक योजना की समीक्षा में इस्लामी चरमपंथ को देश के लिए बड़ा खतरा बताया गया है। कश्मीर को लेकर ब्रितानी मुसलमानों के कट्टरपंथी होने और ‘‘संभवत: खतरनाक’’ खालिस्तान समर्थक अतिवाद को बढ़ती चिंता के रूप में चिह्नित किया है तथा देश के लिए ‘‘प्राथमिक खतरे’’ के रूप में इस्लामी चरमपंथ से निपटने में सुधार की सिफारिशें की गई हैं। यूके सरकार के नेतृत्व वाले कार्यक्रम “रोकें” की एक स्वतंत्र समीक्षा के अनुसार ये यूके के सामने आने वाले वर्तमान और निकटवर्ती आतंकवादी खतरों के साथ-साथ पारिस्थितिकवाद, चरम वामपंथियों द्वारा विघटनकारी गतिविधियों और यूके में हमास के लिए खुले समर्थन में शामिल थे।
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तत्कालीन गृह सचिव प्रीति पटेल ने समीक्षा का आदेश दिया और वर्तमान गृह सचिव सुएला ब्रेवरमैन ने इसकी सभी सिफारिशों को स्वीकार कर लिया। रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि खालिस्तान समर्थक चरमपंथ “यूके के सिख समुदायों के बीच विकसित हो रहा है” और “रोकें” को इससे सावधान रहना चाहिए। समीक्षा में कहा गया, ‘‘मैंने ब्रिटेन के चरमपंथी समूहों से जुड़े साक्ष्य देखे हैं। साथ ही मैंने कश्मीर में हिंसा का आह्वान करने वाले एक पाकिस्तानी मौलवी के ब्रिटेन में समर्थक देखे हैं।
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समीक्षा में कहा गया है कि इस बात पर विश्वास करने की कोई वजह मौजूद नहीं है कि यह मुद्दा ऐसे ही समाप्त हो जाएगा, क्योंकि इस्लामवादी आने वाले वर्षों में इसका फायदा उठाना चाहेंगे। इसमें कहा गया, ‘‘इसकी रोकथाम संभवत: प्रासंगिक है, क्योंकि ब्रिटेन में आतंकवाद के अपराधों के कई ऐसे दोषी पाए गए हैं, जिन्होंने पहले कश्मीर में लड़ाई लड़ी थी। इसमें वे लोग भी शामिल हैं जो बाद में अल-कायदा में शामिल हो गए।’’ रिपोर्ट में खालिस्तान समर्थक अतिवाद के मुद्दे पर कहा गया, ‘‘ब्रिटेन के सिख समुदायों में उत्पन्न हो रहे खालिस्तान समर्थक चरमपंथ के प्रति भी सावधान रहना चाहिए।