हम अक्सर अपने जीवन में कुछ जरूरतों की वजह से दोस्तों से पैसे उधार लिया करते हैं। लेकिन कई बार कई दोस्त आपको भी ऐसे मिले होंगे जो वक्त पर उधार में दिए गए पैसे वापस लौटाना तो जैसे भूल की गए हो। स्कूल या कॉलेज की लाइब्रेरी से ली गई किताब के साथ भी कुछ ऐसा ही अक्सर होता रहा है। लापरवाही वश उसे लौटाना कई लोग भूल जाते हैं। लेकिन एक शख्स ने तो हद ही कर दी। लाइब्रेरी से किताब ली, उससे पढ़ाई की और बड़े साहब भी बन गए। लेकिन 48 साल बाद जाकर पुस्तकालय को किताबें लौटाई।
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टिम्बरलैंड रीजनल लाइब्रेरी ने पिछले सप्ताह एक फेसबुक पोस्ट में कहा कि एक अतिदेय पुस्तकालय पुस्तक 5 जून को इसकी देय तिथि के 81 साल बाद एबरडीन टिम्बरलैंड लाइब्रेरी को वापस कर दी गई। पुस्तक के कवर के अंदर मौजूद लाइब्रेरी कार्ड के अनुसार, चार्ल्स नॉर्डहॉफ और जेम्स नॉर्मन हॉल द्वारा लिखित “द बाउंटी ट्रिलॉजी” 30 मार्च, 1942 को देय थी। पुस्तक, जिसमें 1932 और 1934 के बीच लिखे गए तीन उपन्यास शामिल हैं। किताबों को आठ दशक बाद तक वापस नहीं किया गया था।
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1942 के रेट के हिसाब से रविवार और अन्य छुट्टियों को घटा दें तो हर दिन के 2 सेंट यानि की $484 लगभग 40, 000 रुपये बन रहा है। एबरडीन पुस्तकालय ने अतिदेय जुर्माने को समाप्त कर दिया है, जिसका अर्थ है कि नियत तिथि के बाद आठ दशकों में बदली गई पुस्तक का एक पैसा भी खर्च नहीं होगा। किताब की वापसी से भी ज्यादा हैरानी की बात है कि शख्स ने 81 साल तक किताब अपने पास रखी और मात्र 17 पन्ने पढ़े। पुस्तक के अंदर के कवर पर एक संक्षिप्त समीक्षा लिखी हुई है, जिसमें कहा गया है, यदि मुझे भुगतान किया जाता तो मैं इस पुस्तक को नहीं पढ़ता।