विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शुक्रवार को श्रीलंका सरकार से निवेशकों को लुभाने के लिए व्यापार के अनुकूल माहौल मुहैया कराने का आग्रह किया और कर्ज में डूबे द्वीप देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने में भारत की ओर से मदद जारी रहने का आश्वासन दिया।
दो दिवसीय आधिकारिक यात्रा पर कोलंबो पहुंचे जयशंकर ने राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे, श्रीलंकाई विदेश मंत्री अली साबरी, पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे तथा गोटाबाया राजपक्षे और विपक्षी नेता सजित प्रेमदास सहित श्रीलंका के शीर्ष नेतृत्व से मुलाकात की।
जयशंकर ने अपनी बैठकों के दौरान कहा कि उनकी कोलंबो यात्रा का प्राथमिक उद्देश्य इस कठिन क्षण में श्रीलंका के साथ भारत की एकजुटता व्यक्त करना है।
उन्होंने अपने प्रेस बयान में कहा, हम चाहते हैं कि श्रीलंका सरकार अधिक व्यापार-अनुकूल वातावरण प्रदान करने के वास्ते एक शक्तिशाली माध्यम बनाए। मुझे विश्वास है कि स्थिति की गंभीरता को यहां के नीति निर्माताओं द्वारा महसूस किया गया है।
बाद में दिन में, उन्होंने श्रीलंका के कारोबारी समुदाय के साथ बातचीत की।
उन्होंने ट्वीट किया, मौजूदा चुनौतियों के समाधान के रूप में आर्थिक विकास के महत्व पर चर्चा की।
अधिक निवेश अनुकूल माहौल बनाने के बारे में बात की।
इससे पहले, जयशंकर ने श्रीलंका के नेतृत्व को आश्वासन दिया कि भारत पर्यटन, ऊर्जा और बुनियादी ढांचे जैसे क्षेत्रों में निवेश बढ़ाकर आर्थिक सुधार में देश की मदद करेगा।
उन्होंने कहा, भारत श्रीलंका की अर्थव्यवस्था में विशेष रूप से ऊर्जा, पर्यटन और बुनियादी ढांचे जैसे प्रमुख क्षेत्रों में अधिक से अधिक निवेश को प्रोत्साहित करेगा।
जयशंकर ने श्रीलंका की सबसे गंभीर चुनौतियों में से एक के रूप में ऊर्जा सुरक्षा पर प्रकाश डाला।
उन्होंने कहा, इस देश में नवीकरणीय ऊर्जा की भारी क्षमता है जो राजस्व का एक स्थायी स्रोत बन सकता है।
इसमें त्रिंकोमाली के लिए एक ऊर्जा केंद्र के रूप में उभरने की क्षमता भी है।
विदेश मंत्री ने कहा कि भारत इस तरह की पहलों में एक विश्वसनीय भागीदार बनने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि दोनों देश एक नवीकरणीय ऊर्जा ढांचे पर सैद्धांतिक रूप से सहमत हुए हैं जो इस सहयोग को आगे ले जाएगा।
जयशंकर ने पर्यटन को श्रीलंका की अर्थव्यवस्था का जीवन रक्त बताया और वादा किया कि भारत सरकार इस क्षेत्र को टिकाऊ बनाने के लिए कदम उठाएगी।
द्विपक्षीय व्यापार के बारे में उन्होंने कहा कि यह आवश्यक है कि भारत और श्रीलंका अपने व्यापारिक संबंधों को स्थिर करें।
उन्होंने कहा, मैं इस बात को रेखांकित करना चाहता हूं कि भारत एक विश्वसनीय पड़ोसी है, एक भरोसेमंद साझेदार है, जो श्रीलंका की जरूरत में अतिरिक्त कदम उठाने के लिए तैयार है।
जयशंकर ने कहा कि उनकी यहां की यात्रा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पड़ोसी प्रथम की नीति के प्रति प्रतिबद्धता की पुष्टि की है।
उन्होंने कहा, हम जरूरत की इस घड़ी में श्रीलंका के साथ खड़े रहेंगे और हमें विश्वास है कि यह उन चुनौतियों से पार पा लेगा जिनका सामना यह वर्तमान में कर रहा है।
बाद में, उन्होंने द्वीप राष्ट्र की मदद करने के भारत के जारी प्रयासों के तहत अशोक लीलैंड की 500 बस श्रीलंका के परिवहन मंत्री बंडुला गुणवर्धने को सौंपीं।