श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने कहा है कि विदेश मंत्री एस जयशंकर की आगामी कोलंबो यात्रा के दौरान श्रीलंका भारत के साथ ऋण पुनर्गठन पर वार्ता करेगा। श्रीलंका दशकों के सबसे गंभीर वित्तीय संकट का सामना कर रहा है।
श्रीलंका अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) से 2.9 अरब डॉलर के ‘ब्रिज लोन’ को सुरक्षित करने की कोशिश के साथ चीन, जापान और भारत से वित्तीय आश्वासन प्राप्त करने की कोशिश कर रहा है।
आईएमएफ बेलआउट पैकेज को रोक दिया गया है क्योंकि श्रीलंका इस सुविधा के लिए वैश्विक ऋणदाता की शर्त को पूरा करने के संबंध में कर्ज देने वाले देशों के साथ बातचीत कर रहा है।
शनिवार को ट्रेड यूनियन को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति विक्रमसिंघे ने कहा कि उनकी सरकार ने जापान के साथ ऋण पुनर्गठन वार्ता पूरी कर ली है और इस महीने भारत के साथ ऐसी बैठक करेगी। विक्रमसिंघे ने कहा, ‘‘19 जनवरी को, भारत के विदेश मंत्री के दौरे पर आने की उम्मीद है और हम भारत के साथ ऋण पुनर्गठन वार्ता जारी रखेंगे।’’
जयशंकर की कोलंबो यात्रा के विवरण की घोषणा नहीं की गई है, लेकिन उनके श्रीलंका के शीर्ष नेतृत्व के साथ बातचीत करने की संभावना है। जरूरत के समय भारत ने पिछले साल कोलंबो को लगभग चार अरब डॉलर की वित्तीय सहायता दी थी।
भारत ने वित्तीय संकट के सामने आने के बाद श्रीलंका को अपने समाप्त हो रहे विदेशी भंडार को बनाए रखने के लिए 90 करोड़ डॉलर का ऋण देने की घोषणा की। भारत ने ईंधन खरीद के लिए श्रीलंका को 50 करोड़ डॉलर की ‘क्रेडिट लाइन’ की भी पेशकश की। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए ‘क्रेडिट लाइन’ को बाद में बढ़ाकर 70 करोड़ डॉलर कर दिया गया।
राष्ट्रपति विक्रमसिंघे ने कहा है कि श्रीलंका के पास एकमात्र विकल्प आईएमएफ से बेलआउट पैकेज का है। राष्ट्रपति ने कहा कि वह 3-4 किस्त में आईएमएफ मदद मिलने की प्रतीक्षा कर रहे हैं। उन्होंने ट्रेड यूनियन नेताओं से कहा, ‘‘मैं इस देश को जल्द से जल्द संकट से बाहर निकालना चाहता हूं।’’
श्रीलंका 2022 में अभूतपूर्व वित्तीय संकट की चपेट में आ गया था। विदेशी मुद्रा भंडार में कमी आने के साथ देश में राजनीतिक उथल-पुथल मच गई, जिसके कारण राजपक्षे परिवार को सत्ता से हटना पड़ा।