विदेश मंत्री एस जयशंकर ने नोबेल पुरस्कार से सम्मानित लेखक-कवि रवींद्रनाथ टैगोर की आवक्ष प्रतिमा का बाक निन्ह शहर में अनावरण करते हुए रविवार को कहा कि भारत और वियतनाम के बीच गहरे ऐतिहासिक संबंध लगभग 2,000 साल पुराने हैं, जो बौद्ध धर्म की विरासत से जुड़े हैं।
जयशंकर ने टैगोर की प्रतिमा स्थापित करने में मदद करने के लिए हनोई के पूर्व में स्थित बाक निन्ह प्रांत के नेतृत्व के प्रति आभार व्यक्त किया।
उन्होंने कहा, ‘‘भारत और वियतनाम के ऐतिहासिक संबंध करीब दो हजार साल पुराने हैं, जो बौद्ध धर्म की विरासत से जुड़े हैं। बाक निन्ह प्रांत भी इसी प्राचीन परंपरा का हिस्सा है। ऐतिहासिक अभिलेख इस बात की पुष्टि करते हैं कि भारतीय बौद्ध भिक्षुओं ने वियतनाम में बौद्ध धर्म की शुरुआत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।’’
उन्होंने उद्घाटन समारोह में कहा, ‘‘आज एक असाधारण भारतीय व्यक्तित्व गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर के सम्मान में एक और उल्लेखनीय स्मारक की स्थापना की गई है। टैगोर एक प्रसिद्ध चित्रकार, शिक्षक, मानवतावादी, संगीतकार और एक बहुत ही गहन विचारक थे।’’
जयशंकर ने कहा कि उन्हें यह जानकर खुशी हुई कि टैगोर के कार्यों को पूरे वियतनाम में व्यापक रूप से पहचाना, पढ़ा और सराहा जाता है तथा उन्हें वियतनामी पाठ्यपुस्तकों में शामिल किया गया है। विदेश मंत्री चार दिन की आधिकारिक यात्रा पर वियतनाम आए हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘यह जानकर वाकई खुशी हुई कि टैगोर की गीतांजलि का वियतनामी में अनुवाद किया गया और इसे 2001 में प्रकाशित किया गया। ऐतिहासिक रिकॉर्ड बताते हैं कि टैगोर ने 1929 में हो ची मिन्ह सिटी की तीन दिवसीय यात्रा की थी, जिसका वियतनाम पर एक स्थायी बौद्धिक और सामाजिक-सांस्कृतिक प्रभाव पड़ा।’’
कविता संग्रह गीतांजलि टैगोर की सबसे प्रसिद्ध कृति है, जो 1910 में भारत में प्रकाशित हुई थी। टैगोर को इसके अंग्रेजी अनुवाद ‘सॉन्ग ऑफरिंग्स’ के लिए साहित्य के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था और वह 1913 में यह सम्मान पाने वाले पहले गैर-यूरोपीय बने थे।
जयशंकर ने कहा कि उन्हें यह जानकर खुशी हुई कि वियतनाम ने 1982 में टैगोर के सम्मान में एक डाक टिकट जारी किया था।
उन्होंने कहा, ‘‘वियतनाम में उनके (टैगोर के) प्रति दिखाए गए सम्मान और सराहना से हम सम्मानित महसूस करते हैं…मेरा मानना है कि गुरुदेव टैगोर की प्रतिमा का आज किया गया अनावरण बाक निन्ह शहर की प्रतिष्ठा को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ाएगा।’’
बाद में सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में जयशंकर ने कहा कि गुरुदेव के कार्यों को पूरे वियतनाम में व्यापक रूप से जाना जाता है और सराहा जाता है।
उन्होंने कहा, “निश्चित रूप से इससे बाक निन्ह प्रांत की अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा बढ़ेगी और भारत के साथ इसके मजबूत संबंध आगे बढ़ेंगे।”
कार्यक्रम में, उन्होंने बाक निन्ह प्रांत के ‘क्वान हो आर्ट थिएटर’ समूह की प्रस्तुति भी देखी। समूह नई दिल्ली में होने वाले नौवें भारत अंतरराष्ट्रीय नृत्य और संगीत महोत्सव में हिस्सा लेने के लिए भारत जाएगा।
उन्होंने बाक निन्ह प्रांत में भारतीय समुदाय के सदस्यों से भी बातचीत की।
‘एक्स’ पर एक अन्य पोस्ट में उन्होंने कहा, “भारत-वियतनाम के बीच सभ्यता का जुड़ाव बाक निन्ह में ‘फैट टीच पैगोडा’ (बौद्ध सांस्कृतिक केंद्र) में स्पष्ट रूप से दिखाई देता है…।”
उन्होंने उन्होंने ‘फैट टीच’ में वियतनाम बौद्ध संघ के ‘मोस्ट वेन’ थिच थान निह्यू से भी मुलाकात की।
जयशंकर ने कहा, आध्यात्म, योग, कला और संस्कृति के बारे में उनकी सकारात्मक भावनाओं की सराहना की।
जयशंकर रविवार को वियतनाम पहुंचे। वियतनाम से वह 19 से 20 अक्टूबर तक सिंगापुर की यात्रा पर जायेंगे।