पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने इमरान खान का “पक्ष लेने” के लिए उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश उमर अता बांदियाल की आलोचना की और कहा कि निचली अदालतों को उनके संदेश के कारण खान की सजा निलंबित कर दी गई। उन्होंने इस फैसले को देश के इतिहास में एक “काला अध्याय” करार दिया।
इस्लामाबाद उच्च न्यायालय ने पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को आम चुनाव से पहले बड़ी राहत देते हुए तोशाखाना भ्रष्टाचार मामले में उनकी दोषसिद्धि और तीन साल की जेल की सजा पर मंगलवार को रोक लगा दी और उन्हें जेल से रिहा करने का आदेश भी दिया।
साल 2018 से 2022 के बीच खान के प्रधानमंत्री पद पर रहते उन्हें और उनके परिवार को मिले राजकीय उपहारों को गैरकानूनी रूप से बेचने का दोषी करार देते हुए खान को तीन साल की जेल की सजा सुनाई गई थी।
मुख्य न्यायाधीश आमिर फारूक और न्यायमूर्ति तारिक महमूद जहांगीरी की खंड पीठ ने यह बहुप्रतीक्षित फैसला सुनाया। इसके अलावा मुख्य न्यायाधीश बंदियाल की अध्यक्षता वाली उच्चतम न्यायालय की तीन सदस्य पीठ भी तोशाखाना मामले के खिलाफ याचिकाओं की सुनवाई फिर से शुरू करने के लिए तैयार है।
शरीफ ने ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर कहा कि इस्लामाबाद उच्च न्यायालय खान के प्रति उच्चतम न्यायालय की उदारता से प्रभावित हुआ है।
पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएलएन) के अध्यक्ष शरीफ ने कहा, “मुख्य न्यायाधीश का आपको देखकर अच्छा लगा और आपको शुभकामनाएं का संदेश इस्लामाबाद उच्च न्यायालय तक पहुंचा। अगर फैसला आने से पहले ही सबको पता हो कि फैसला क्या होगा तो यह न्याय व्यवस्था के लिए चिंता का क्षण होना चाहिए।