एक मशहूर कहावत है कि इंसान अपनी इज्जत बनाने में वर्षों लगा देता है लेकिन उसे गंवाने में एक पल ही काफी होता है। इस संसार में हरेक इंसान के लिए इज्जत, मान और प्रतिष्ठा बहुत ही मायने रखती है। देश संविधान के अंतर्गत हरेक इंसान को कुछ मौलिक अधिकार और दायित्व दिए गए हैं। उन्हीं अधिकारों में से एक मान और प्रतिष्ठा के साथ जीने का भी है। लेकिन अगर कोई इंसान दूसरे के इस मौलिक अधिकार का हनन करने या उसे किसी भी माध्यम से छीनने की कोशिश करता है तो इसके तहत कानून में कुछ प्रवाधान भी दिए गए हैं। मानहानि मुकदमा ये अक्सर टेलीविजन, अखबरों या बड़े-बड़े बिजनेसमैन और सेलिब्रिटी से सुनने वाला शब्द है। सूरत की एक अदालत ने कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर कथित टिप्पणी को लेकर भाजपा विधायक पूर्णेश मोदी की शिकायत पर मानहानि के मामले में गुरुवार को दो साल कैद की सजा सुनाई। 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले कर्नाटक के कोलार में एक रैली में, राहुल गांधी कहते हैं: “नीरव मोदी, ललित मोदी, नरेंद्र मोदी … कैसे इन सभी का उपनाम मोदी है? कैसे सभी चोरों का सरनेम मोदी ही है?
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मानहानि कानून क्या है
संविधान के तहत भारत के हर नागरिक को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता मिली है, लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि आपको किसी को अपमानित करने का अधिकार भी मिल गया है। आईपीसी की धारा 499 में ‘मानहानि’ को डिफाइन किया गया है। इसके अनुसार अगर कोई बोलकर, लिखकर, पढ़कर, इशारों या तस्वीरों के जरिए किसी व्यक्ति की प्रतिष्ठा पर लांछन लगाता है तो इसे मानहानि माना जाएगा। कभी भी कोई ऐसा बयान जिसे किसी व्यक्ति संस्था जिसके खिलाफ वो बयान हो अगर उससे छवि खराब होती है। तो मानहानि के तहत केस दर्ज होता है। किसी पर झूठा आरोप लगाना और उसकी मान प्रतिष्ठा को चोट पहुंचाना मानहानि की श्रेणी में माना जाता है। इसके पीछे के तर्क हैं कि व्यक्ति की प्रतिष्ठा को धन, संपत्ति का हिस्सा समझा गया है। इसलिए अगर कोई व्यक्ति किसी को संपत्ति से वंचित करता है तो वो अपराध की श्रेणी में माना जाता है। मानहानि को लेकर भारत की बात तो हमने आपको बता दी अब आइए जानते हैं कि इसको लेकर दुनिया के कानून क्या कहते हैं?
मानहानि पर दुनिया के कानून
ब्रिटेन में साल 2009 में ही ऐसी व्यवस्था की गई जिससे मानहानि से जुड़े मामलों में आपराधिक केस नहीं चल सकता। तब माना गया कि ब्रिटेन मानहानि आपराधिक होने का बहाना बनाकर बाकी देश अपने यहां बोलने की आजादी पर अंकुश लगा रहे थे। ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में मानहानि के मामले आपराधिक नहीं होते। न्यूजलैड में आपराधिक मानहानि को साल 1993 में ही खत्म कर दिया गया। यहां मानहानि से जुडे़ मामले अदालतों में ही सुलझाए जाते हैं। लेकिन इसमें पुलिस शामिल नहीं होती है। इसके अलावा मानहानि में दोष सिद्ध होने पर जेल भी नहीं होती है। पीड़ित को मानहानि से हुए नुकसान का हर्जाना और कोर्ट में कार्यवाही का खर्चा वहन करना पड़ता है। न्यूजीलैंड में ऐसे मामलों में आपराधिक मुकदमा तभी चलता है, जब कोई इरादतन वोटरों को प्रभावित करने के लिए झूठी सूचना जारी करवाता है।
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पाकिस्तान में सिविल और क्रिमिनल केस चलते हैं
पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान में मानहानि से जुड़े मामलों में सिविल और क्रिमिनल दोनों तरह के केस चलते हैं। बांग्लादेश में केवल आपराधिक केस चलता है। पाकिस्तान में एक बिल लाया गया जो कहता है कि अगर सेना या ज्युडिशरी का माखौल उड़ाया तो पांच साल की जेल होगी। बांग्लादेश में ऑनलाइन मानहानि पर सात साल तक की जेल हो सकती है।
अमेरिका में मानहानि को लेकर क्या कहा गया है
अमेरिका का सुप्रीम कोर्ट कहता है कि अगर शिकायती नामी शख्स है, तो ऐसे आपराधिक मानहानि कानून के तहत तभी कार्रवाई हो जब वास्तव में दुर्भावना की बात साबित हो जाए। यही नहीं सुप्रीम कोर्ट ने सच बोलने पर आपराधिक केस चलाने पर भी रोक लगाई हुई है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि बेशक कई राज्यों में आपराधिक मानहानि क्रिमिनल कोड का हिस्सा है, मगर उन्हें कभी लागू नहीं किया जाता। यूरोप के सुरक्षा और सहयोग पर बने एक संगठन ने 2017 में कहा था कि तीन चौथाई सदस्य देशों में मानहानि पर आपराधिक प्रावधान हैं। पश्चिमी यूरोप के नौ देशों में जाने माने शख्स की मानहानि होने पर सख्त पाबंदी लगाने का प्रावधान है।