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Labor Day: दुनिया भर में श्रमिकों ने काम की बेहतर स्थितियों को लेकर रैलियां निकाली

सियोल। दुनिया भर में श्रमिकों और कार्यकर्ताओं ने सोमवार को मजदूर दिवस पर उच्च वेतन, कामकाजी घंटों में कमी और काम करने की अन्य बेहतर स्थितियों की मांग करते हुए रैलियां निकाली।
फ्रांस में श्रमिक संघों ने राष्ट्रपति एमैनुअल मैक्रों के सेवानिवृत्त की आयु 62 से बढ़ाकर 64 वर्ष किए जाने के हालिया कदम के विरोध में व्यापक प्रदर्शन करने की योजना बनायी।
एक मई को आने वाले मजदूर दिवस को कई देशों में मजदूरों के अधिकारों का जश्न मनाने के तौर पर मनाया जाता है और इस दिन रैलियां, मार्च तथा अन्य कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। कोविड-19 संबंधी पाबंदियां हटने के कारण इस साल इन रैलियों में बड़ी संख्या में लोगों ने भाग लिया।

तुर्किये के स्वतंत्र टेलीविजन स्टेशन सोजकु ने बताया कि पिछले वर्षों की तरह ही देश में पुलिस ने प्रदर्शनकारियों के एक समूह को इस्तांबुल के मुख्य चौराहे तक्सिम तक पहुंचने से रोका और कई प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया।
इस चौराहे का तुर्किये के मजदूर संघों के लिए सांकेतिक महत्व है। अज्ञात बंदूकधारियों ने 1977 में तक्सिम में मजदूर दिवस मना रहे लोगों पर अंधाधुंध गोलीबारी की थी जिससे भगदड़ मच गयी थी और कई लोग मारे गए थे।
राष्ट्रपति रज्जब तैय्यब एर्दोआन की सरकार ने प्रदर्शनकारियों के तक्सिम पहुंचने तक रोक की घोषणा कर रखी है। इस बीच, छोटे समूहों को तक्सिम में पुष्पांजलि अर्पित करने की अनुमति दी गयी है।

पाकिस्तान में प्राधिकारियों ने तनावपूर्ण सुरक्षा स्थिति या राजनीतिक वातावरण के कारण कुछ शहरों में रैलियों पर प्रतिबंध लगाया है।
देश के अशांत क्षेत्र पेशावर में श्रमिक संगठनों और श्रमिक संघों ने मजदूरों के बेहतर अधिकारों की मांग को लेकर बंद कमरे में कार्यक्रम आयोजित किए। श्रमिक संघ के नेता सैफुल्लाह खान ने कहा कि मुल्क में महंगाई और आर्थिक हालात लोगों की जिंदगी को मुश्किल बना रहे हैं।
दक्षिण कोरिया में महामारी के बाद से मजदूर दिवस की सबसे बड़ी रैलियों में हजारों लोगों ने भाग लिया।

सियोल में एक रैली में भाग लेने वाले एक कार्यकर्ता ने कहा, ‘‘हमारे वेतन के अलावा हर चीज के दाम बढ़ गए हैं। हमारा न्यूनतम वेतन बढाएं। हमारे कामकाजी घंटे कम करें।’’ तोक्यो में श्रमिक संघ के हजारों सदस्य, विपक्षी सांसद और विद्वान योयोगी पार्क में एकत्रित हुए और उन्होंने वेतन वृद्धि की मांग की। उन्होंने रक्षा बजट दोगुना करने की प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा की योजना की आलोचना की और कहा कि यह पैसा कल्याण कार्यों, सामाजिक सुरक्षा तथा लोगों की रोजमर्रा की जिंदगी बेहतर बनाने पर खर्च की जानी चाहिए।

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इंडोनेशिया में रैली में भाग लेने वाले लोगों ने सरकार से उस कानून को रद्द करने की मांग की जो उनके अनुसार मजदूरों तथा पर्यावरण की कीमत पर कारोबारों को लाभ पहुंचाएगा।
ताइवान में हजारों कामगारों ने देश की अपर्याप्त श्रम नीतियों के खिलाफ सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन किया।
लेबनान में कम्युनिस्ट पार्टी और व्यापार संघ के सैकड़ों सदस्यों ने बेरूत की सड़कों पर मार्च निकाला। देश अभी आर्थिक संकट और बढ़ती महंगाई से जूझ रहा है और उसकी लगभग तीन चौथाई आबादी गरीबी में जी रही है।
उत्तर कोरिया के मुख्य अखबार रोदोंग सिनमुन ने एक संपादकीय में कामगारों से देश के नेता किम जोंग उन को वृहद समर्थन देने का अनुरोध किया।

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