श्रीलंका में स्थानीय परिषद के चुनाव नौ मार्च को कराये जायेंगे। देश के निर्वाचन आयोग ने शनिवार को यह घोषणा की, जिससे इस बात की आशंका खत्म हो गई कि देश में आर्थिक संकट के कारण चुनाव फिर से स्थगित किये जा सकते हैं।
स्थानीय चुनाव को इससे पूर्व छह महीने के लिए स्थगित कर दिया गया था क्योंकि देश अभूतपूर्व आर्थिक उथल-पुथल की चपेट में था, जिससे राजनीतिक संकट पैदा हो गया था और पूर्व राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे को सत्ता से हटना पड़ा था।
निर्वाचन आयोग के अधिकारियों ने घोषणा की कि देश में 340 परिषदों के लिए स्थानीय चुनाव नौ मार्च को होंगे।
विपक्षी दल स्थानीय चुनाव के लिए जोर दे रहे हैं।
विपक्षी दलों के अनुसार, इससे लोगों को आर्थिक संकट से निपटने में सरकार की नाकामी के प्रति नाराजगी दिखाने का मौका मिलेगा।
सरकार ने हालांकि स्थानीय चुनावों में देरी को लेकर कहा था कि देश में मौजूदा आर्थिक संकट को देखते हुए चुनाव कराने के लिए यह समय उपयुक्त नहीं है।
चुनाव प्रक्रिया में कथित तौर पर 10 अरब रुपये खर्च होंगे जो पहले से ही देश की कमजोर अर्थव्यवस्था पर अतिरिक्त दबाव डालेगा।
सत्तारूढ़ श्रीलंका पोडुजना पेरामुना (एसएलपीपी) का 2018 में हुए पिछले चुनाव में जीत हासिल करने के बाद अधिकांश परिषदों पर नियंत्रण है।
हालांकि, जुलाई में पार्टी के नेता और पूर्व राष्ट्रपति राजपक्षे को जनआंदोलन के जरिये सत्ता से हटाए जाने के बाद पार्टी में उथल-पुथल है।
वहीं, मुख्य विपक्षी दल सामगी जन बलवेगया (एसजेबी) को विश्वास है कि सत्तारूढ़ दल के प्रति जनता के गुस्से को देखते हुए वे अधिकांश परिषदों को जीत सकते हैं।