लंदन के एक कॉलेज में भारतीय मूल के छात्र के साथ धर्म और देशविरोधी बयानों के खिलाफ बोलने को लेकर भेदभाव किए जाने का मामला सामने आया है। लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स (LSE) में अंतरराष्ट्रीय कानून में स्नातकोत्तर की पढ़ाई कर रहे एक भारतीय छात्र का दावा है कि छात्र संघ (LSESU) के चुनाव से अयोग्य घोषित किए जाने के बाद उसे कैंपस में हिंदू और भारतीय होने के कारण क्रूर नस्लवाद का सामना करना पड़ा। गुड़गांव के करण कटारिया जिन्होंने नॉर्थकैप यूनिवर्सिटी में अपनी पहली डिग्री हासिल की है। अंग्रेजी अखबार टीओआई से बात करते हुए उन्होंने बताया कि वो अपनी मास्टर डिग्री शुरू करने के लिए पिछले सितंबर में यूके पहुंचे। वह विश्वविद्यालय जाने वाले अपने परिवार के पहले सदस्य हैं।
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29 मार्च को मतदान होने के बाद उन्हें रिटर्निंग ऑफिसर से एक पत्र मिला जिसमें कहा गया था कि उन्हें कई शिकायतें मिली थीं कि वह “एक चरमपंथी संगठन के सदस्य” थे, लेकिन उन्हें उनके द्वारा किसी भी असहिष्णुता या भेदभावपूर्ण व्यवहार का कोई सबूत नहीं मिला। उन्होंने कहा कि मेरी इमेज को बदनाम करने के लिए कई झूठे आरोप लगाए गए, जबकि मैंने हमेशा बदलाव और सामाजिक के फायदे की बात कही है।