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अमेरिका में भारतीय मूल की IT कंपनियों की लॉटरी, हासिल कर लिए 20 फीसदी एच1बी वीजा

अमेरिका में नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के शपथ ग्रहण समारोह से तीन सप्ताह पहले ‘एच-1बी’ वीजा को लेकर बहस छिड़ गई है, जिसके कारण डेमोक्रेटिक और रिपब्लिकन दोनों दलों में मतभेद पैदा हो गए हैं। अमेरिका की ओर से जारी एच1B वीजा का करीब एक-पांचवां हिस्सा की टेक कंपनियों ने हासिल किया है। इन्फोसिस और टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) सबसे आगे रही हैं। अमेरिकी इमिग्रेशन विभाग के आंकड़ों से यह सामने आया। अप्रैल-सितंबर, 2024 की अवधि में जारी कुल 1.3 लाख वीजा में से लगभग 24,766 भारतीय मूल की कंपनियों को जारी किए गए। सिस इनमें से इन्फोसिस ने 8,140 टाटा टेंसी ज रहीं आगे लाभार्थियों के साथ टॉप स्थान हासिल किया। उसके बाद TCS (5,274) और HCL अमेरिका (2,953) का स्थान रहा। अमेजन कॉम सर्विसेज ने 9,265 वीजा हासिल किए। कॉग्निजेंट को 6,321 वीजा मिले।

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प्रभावशाली डेमोक्रेटिक सीनेटर बर्नी सैंडर्स ने भी ‘एच-1बी’ वीजा का विरोध किया। सैंडर्स ने कहा, ‘‘एलन मस्क और कई अन्य अरबपति कंपनियों के मालिकों ने तर्क दिया है कि यह संघीय कार्यक्रम हमारी अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि अत्यधिक कुशल अमेरिकी इंजीनियर और अन्य तकनीकी कर्मचारियों की कमी है। मैं इससे असहमत हूं।’’ इस बीच, सैंडर्स के पार्टी सहयोगी राजा कृष्णमूर्ति ने मस्क और रामास्वामी का समर्थन करते हुए कहा, ‘‘एच-1बी कार्यक्रम दुनिया भर से सर्वश्रेष्ठ और प्रतिभाशाली प्रतिभाओं को आकर्षित करता है।

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भारत ने की  विदेशी छात्रों के लिए दो विशेष श्रेणी के वीजा की शुरुआत
भारत ने देश के शैक्षणिक संस्थानों में उच्च शिक्षा प्राप्त करने के इच्छुक विदेशी छात्रों के लिए दो विशेष श्रेणी के वीजा शुरू किए हैं। अधिकारियों ने कहा कि गृह मंत्रालय ने ई-छात्र वीजा और ई-छात्र-एक्स वीजा पेश किए हैं और सभी आवेदकों को सरकार द्वारा शुरू किए गए स्टडी इन इंडिया (एसआईआई) पोर्टल का उपयोग करना होगा। उन्होंने कहा कि ई-छात्र वीजा सुविधा का लाभ एसआईआई पोर्टल पर पंजीकृत पात्र विदेशी छात्र उठा सकते हैं, जबकि ई-छात्र-एक्स वीजा का लाभ ई-छात्र वीजा धारकों के साथ रहने वालों को मिलेगा। एसआईआई पोर्टल से उन विदेशी छात्रों की दाखिला प्रक्रिया सुविधाजनक बनेगी जो भारत में दीर्घकालिक या अल्पकालिक कोर्स करना चाहते हैं। 

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