रूस की अंतरिक्ष एजेंसी ने रविवार को कहा कि उसका लूना-25 अंतरिक्ष यान चंद्रमा पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया है।
‘रोसकॉसमॉस’ ने बताया कि उसका मानवरहित रोबोट लैंडर कक्षा में अनियंत्रित होने के बाद चंद्रमा से टकरा गया।
एजेंसी ने एक बयान में कहा, ‘‘लैंडर एक अप्रत्याशित कक्षा में चला गया और चंद्रमा की सतह से टकराने के परिणामस्वरूप क्षतिग्रस्त हो गया।’’
इसने कहा कि यान में चंद्रमा पर उतरने से पहले की कक्षा में भेजने के बाद समस्या आई और शनिवार को उससे संपर्क टूट गया।
रूस ने 1976 के सोवियत काल के बाद पहली बार इस महीने की शुरुआत में अपना चंद्र मिशन भेजा था।यान के दुर्घटनाग्रस्त होने की खबर आने से पहले रोसकॉसमॉस ने शनिवार को जानकारी दी कि ‘असमान्य परिस्थिति’ उत्पन्न हो गई है और विशेषज्ञ समस्या का विश्लेषण कर रहे हैं।
रोसकॉसमॉस ने टेलीग्राम पोस्ट में कहा, ‘‘अभियान के दौरान स्वचालित स्टेशन पर असमान्य परिस्थिति उत्पन्न हुई जिसकी वजह से विशिष्ट मानकों के अनुसार मार्ग में तय बदलाव नहीं किया जा सका।’’
इस अंतरिक्ष यान को सोमवार को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरना था। इसकी प्रतिस्पर्धा भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के चंद्रयान-3 से थी जिसे 23 अगस्त को चंद्रमा की सतह पर उतरना है।
चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव को लेकर वैज्ञानिकों की विशेष रुचि है जिसके बारे में माना जाता है कि वहां बने गड्ढे हमेशा अंधेरे में रहते हैं और उनमें पानी होने की उम्मीद है।चट्टानों में जमी अवस्था में मौजूद पानी का इस्तेमाल भविष्य में अंतरिक्ष यात्रियों के लिए वायु और रॉकेट के ईंधन के रूप में किया जा सकता है।
केवल तीन देश चंद्रमा पर सफल ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ करने में सफल रहे हैं, जिनमें पूर्ववर्ती सोवियत संघ, अमेरिका और चीन शामिल हैं।
हालांकि, ये तीनों देश भी चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर नहीं उतरे थे।
भारत और रूस दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला पहला देश बनने की होड़ में थे। रूस का यान अब दुर्घटनाग्रस्त हो चुका है और भारत के लोगों को 23 अगस्त को इस दौड़ में अपने देश के सफल होने की उम्मीद है।
वर्ष 2019 में चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने का पिछला भारतीय प्रयास तब असफल हो गया था जब लैंडर चंद्रमा की सतह पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था।
रूस ने 10 अगस्त को लूना-25 अंतरिक्ष यान का प्रक्षेपण किया था।