मालदीव में राष्ट्रपति चुनाव के निर्णायक दौर के लिए शनिवार को लोगों ने मतदान किया। इस चुनाव को एक तरीके के वस्तुत: इसको लेकर एक जनमत संग्रह के तौर पर देखा जा रहा है कि देश में भारत या फिर चीन में से किस क्षेत्रीय शक्ति का अधिक प्रभाव रहेगा।
राष्ट्रपति पद के लिए सितंबर की शुरुआत में हुए मतदान के पहले चरण में मुख्य विपक्षी उम्मीदवार मोहम्मद मुइज और मौजूदा राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलिह में किसी को भी 50 फीसदी से ज्यादा वोट नहीं मिल पाये थे।
सोलिह 2018 में पहली बार राष्ट्रपति निर्वाचित हुए थे। सोलिह दूसरे कार्यकाल के लिए फिर से चुनाव मैदान में हैं और मुइज के इन आरोपों से जूझ रहे हैं कि उन्होंने भारत को देश में अनियंत्रित मौजूदगी की अनुमति दी थी।
मुइज को पहले चरण में 46 फीसदी से ज्यादा वोट मिले थे जबकि सोलिह को 39 फीसदी मत प्राप्त हुए थे।
सोलिह ने जोर देकर कहा कि मालदीव में भारतीय सेना की मौजूदगी सिर्फ और सिर्फ दोनों सरकारों के बीच हुए एक समझौते के तहत पोतगाह निर्माण के लिए है और इससे उनके देश की संप्रुभता को कोई नुकसान नहीं पहुंचेगा।
मुइज ने वादा किया है कि अगर वह चुनाव जीत जाते हैं, तो मालदीव में मौजूद भारतीय सैनिकों को वापस भेजेंगे और देश के कारोबारी संबंधों को संतुलित करेंगे। उनका कहना है कि वर्तमान में कारोबारी संबंध भारत के पक्ष में हैं।
सोलिह के लिए निर्णायक दौर को एक कड़ी चुनौती के रूप में देखा जा रहा है और उनकी जीत की संभावना इस बात पर निर्भर करती है कि उनकी पार्टी का एक अलग हुआ गुट उनके लिए वोट करता है या नहीं।
मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद, सोलिह की मालदिवियन डेमोक्रेटिक पार्टी से अलग हो गए थे और उन्होंने पहले चरण में अपना खुद का उम्मीदवार मैदान में उतारा था। हालांकि उन्होंने दूसरे चरण में तटस्थ रुख अपनाने का फैसला किया लेकिन उनके कुछ समर्थक सोलिह को समर्थन दे सकते हैं।
निर्णायक दौर में मतदान के लिए 2,82,000 से ज्यादा लोग पात्र हैं और नतीजे रविवार को आने की उम्मीद है।