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बमाको (माली) । माली की सैन्य सरकार ने देश की मीडिया पर राजनीतिक दलों और संगठनों की गतिविधियों की रिपोर्टिंग करने पर बृहस्पतिवार को प्रतिबंध लगा दिया। देश के सैन्य शासन ने सोशल मीडिया में इस संबंध में एक नोटिस जारी किया है। यह आदेश टेलीविजन, रेडियो, ऑनलाइन और प्रिंट समाचार पत्रों सहित मीडिया के सभी प्रारूपों पर लागू होता है। इससे एक दिन पहले बुधवार को सैन्य शासन ने अगले आदेश तक सभी राजनीतिक दलों की गतिविधियों पर भी प्रतिबंध लगा दिया था। माली में 2020 से दो बार सैन्य तख्तापलट हो चुका है जिससे देश में राजनीतिक अस्थिरता का माहौल है।
राजनीतिक उठा-पटक के साथ-साथ देश में आतंकवादी संगठन अलकायदा और इस्लामिक स्टेट से जुड़े आतंकवादियों की गतिविधियां भी तेजी से बढ़ी हैं। अभी यह स्पष्ट नहीं है कि बृहस्पतिवार को मीडिया में जारी किए गए प्रतिबंध संबंधी आदेश का दायरा क्या होगा। मसलन इस बात को लेकर स्पष्टता नहीं है कि क्या पत्रकार अर्थव्यवस्था जैसे मुद्दों पर खबर प्रकाशित कर सकते हैं जो सीधे तौर पर देश के राजनीतिक हालात से जुड़ी है। साथ ही यह भी अस्पष्ट है कि पत्रकारों के कामकाज की निगरानी कौन करेगा। देश में पत्रकारों के संगठन ‘ मैसन डे ले प्रेस’ ने कड़े शब्दों में इस आदेश की आलोचना की है।
संगठन ने कहा कि वह इस आदेश को खारिज करता है। इसने पत्रकारों से देश की राजनीति पर खबरें करना जारी रखने का आह्वान किया है। संगठन ने पत्रकारों से ‘‘अडिग रहने, एकजुट रहने और नागरिकों के सूचना तक पहुंच के अधिकार की रक्षा के लिए डटे’’ रहने का आग्रह किया है। देश के इस नए कदम पर अमेरिका ने चिंता व्यक्त की है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने वाशिंगटन में संवाददाताओं से कहा, ‘‘अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता खुले समाज के लिए जरूरी है।’’