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आश्रय स्थलों में रह रहे कई फलस्तीनी मलबे में बदल चुके घरों में लौटने के इच्छुक नहीं

रफाह (गाजा पट्टी) । कई फलस्तीनियों का कहना है कि वे युद्ध की वजह से विस्थापित होने के बाद अपने आश्रय स्थलों में रह रहे हैं जिनको छोड़कर गाजा के सबसे दक्षिणी शहर रफाह में अपने पुराने घरों के मलबे में लौटने की उनकी इच्छा नहीं है। विस्थापित हुए हुसैन बरकत ने कहा, ‘‘हम युद्ध विराम के दौरान एक तंबू लगाने के लिए वापस आना चाहते थे। जैसा कि आप देख सकते हैं, यह एक भुतहा शहर बन गया है। यहां पानी नहीं है। कुछ भी नहीं है। यहां तक कि कोई समतल जमीन भी नहीं है, जहां आप रह सकें।’’ 
एसोसिएटेड प्रेस द्वारा शूट किए गए फुटेज में विस्थापित निवासी हाथों से मलबे में खुदाई करते नजर आ रहे हैं। यूसुफ अल-शरकावी ने अपने पांच बच्चों के लिए कपड़े निकालने के लिए अपने नष्ट हो चुके घर के खंडहरों को छान मारा। बच्चों में उनका नवजात शिशु भी है, जो रात में सर्दियों की ठंड से संघर्ष कर रहा है।
रफाह के एक अन्य विस्थापित मोहम्मद अल-बल्लास ने कहा कि पानी और बिजली सहित बुनियादी आवश्यकताओं के बिना रफाह में घर वापस लौटना मुश्किल होगा। ढही हुई इमारतों, मलबे के ढेर और नष्ट हो चुकी सड़कों की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि वे अभी अपने आश्रय स्थल में ही रहेंगे क्योंकि उनके पुराने ठिकाने के खंडहरों में तंबू लगाने के लिए भी जगह नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘अगर आप यहां किसी जानवर को बांधने की कोशिश भी करेंगे तो वह भी जिंदा नहीं बचेगा।

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