देवदार के पेड़ों के साथ शंकुधारी जंगलों से घिरा और नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पास स्थित उत्तरी कश्मीर के बोनियार सेक्टर के लिम्बर क्षेत्र में काज़ीनाग राष्ट्रीय उद्यान मार्खोर का ठिकाना है। पाकिस्तान का राष्ट्रीय पशु होने के नाते, मरखोरों के लिए एलओसी के इस हिस्से में आने या दूसरी तरफ जाने के लिए कोई सीमा नहीं है। यह जानवर पीर पंचाल रेंज और काज़ीनाग राष्ट्रीय उद्यान में भी पाया जाता है। इसे लेकर बहुत सारे किस्से और कहानियां हैं। माना जाता है कि ये ऐसा पशु है जो सांप का सबसे बड़ा दुश्मन है। उन्हें खोजता है और मारकर चबा लेता है।
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क्या है इसको लेकर किस्से
मारखोर एक फारसी शब्द है जिसका अर्थ सांप खाने वाला या सांप का हत्यारा होता है। लोककथाएं कहती हैं कि ये जानवर कथित तौर पर अपने सर्पिल सींगों से सांपों को मारने और फिर सांपों को खा जाने में सक्षम है। लोग ये भी मानते हैं कि ये सर्पदंश से जहर निकालने में मदद करता है। हालांकि मारखोर द्वारा सांपों को खाने या उन्हें सींगों से मारने का कोई प्रमाण नहीं हैं।
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पाकिस्तानी एजेंसी का लोगो
पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के लोगो को बेहद ही सोच-समझ कर बनाया गया है। इसे ध्यान से देखने पर आपको इसमें एक बकरा सांप को चबाता नजर आएगा। आईएसआई के इस लोगों के मायने कई हैं। लोगो में मौजूद बकरा एक खास किस्म की पहाड़ी जंगलों में पाया जाने वाली प्रजाती है। इसे मारखोर कहा जाता है। ये प्रजाती को गुलाम कश्मीर में गिलगिलत बाल्टिस्तान, कलश घाटी, हुनजा घाटी और नीलम घाटी के ऊपरी इलाकों में पाई जाती है। इसके अलावा भारत और तजाकिस्तान के कुछ हिस्सों में भी ये देखने को मिलते हैं। हालांकि बकरे की ये प्रजाति धीरे धीरे लुप्त हो रही है।