वर्ष 1971 के युद्ध में अंतिम जीत से पहले एक दलदली इलाके में एकगांव में भारत और पाकिस्तान की सेनाओं के बीच तीन दिन तक भीषण लड़ाई हुई, जिसके परिणामस्वरूप बांग्लादेश का गठन हुआ। यह जानकारी बांग्लोदश की सेना के रिकॉर्ड में अंकित है।
भारत और पाकिस्तान के बीच तीन दिसंबर को युद्ध छिड़ने के बाद 16 दिसंबर, 1971 को ढाका स्वतंत्र बांग्लादेश की राजधानी के रूप में सामने आया। इस युद्ध में भारतीय सेना खुलकर मुक्ति वाहिनी के सैनिकों के साथ खड़ी थी।
बांग्लादेश के युद्ध रिकॉर्ड के अनुसार, बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के शुरू होने से पहले ही, तीन दिन तक एक भीषण लड़ाई हुई जिसे गरीबपुर की लड़ाई के रूप में जाना जाता है। यह लड़ाई उस समय की पश्चिमी सीमाओं पर लड़ी गई थी जिसे उस समय पूर्वी पाकिस्तान कहा जाता था। इस लड़ाई के बारे में अब तक बहुत कम चर्चा हुई है।
दोनों सेनाओं के बीच तीन दिन तक चली यह लड़ाई 20 नवंबर से 23 नवंबर हुई थी और दोनों पक्षों ने इसमें अपनी टैंक और वायु शक्ति का इस्तेमाल किया था।
भारत ने पाकिस्तान के अमेरिका निर्मित एम-24 शैफी टैंकों के खिलाफ रूस निर्मित पीटी-76 टैंकों का इस्तेमाल किया और भारतीय वायु सेना के जिनात लड़ाकू विमानों ने पाकिस्तानी सेबर एफ-86 लड़ाकू विमानों के हमलों का मुकाबला किया। पाकिस्तानी पक्ष को सैनिकों और साजो-सामान दोनों के मामले में विनाशकारी नुकसान उठाना पड़ा।
सेवानिवृत्त बांग्लादेशी मेजर जनरल इमामुज़ ज़मान ने कहा, ‘‘इस युद्ध के बाद, पाकिस्तानी आक्रमणकारियों की रक्षा प्रणाली असंतुलित हो गई … दोनों पक्षों ने अपनी सर्वश्रेष्ठ क्षमता से लड़ाई लड़ी और कई युद्ध संबंधी सबक सीखे।