प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के खास कार्यक्रम शौर्य पथ में इस सप्ताह हमने ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) से जानना चाहा कि भारत और चीन के बीच 19वें दौर की सैन्य वार्ता हुई, मगर कोई नतीजा नहीं निकल सका। इसे कैसे देखते हैं आप? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि भारत और चीन के संबंधों में गतिरोध बरकरार है क्योंकि दो दिन तक दोनों देशों के बीच चली सैन्य वार्ता में कोई ठोस नतीजा नहीं निकल सका। उन्होंने कहा कि मीडिया रिपोर्टों में बताया जा रहा है कि चीन इस बात के लिए तैयार नहीं हुआ कि पहले की तरह भारत को सभी पेट्रोलिंग प्वाइंट्स तक पहुँच दी जाये। उन्होंने कहा कि हालांकि भारत और चीन पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर गतिरोध के शेष मुद्दों को शीघ्रता से हल करने पर सहमत हो गये हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जल्द ही ब्रिक्स की बैठक में भाग लेने जाना है जहां उनकी चीनी राष्ट्रपति से मुलाकात होगी। इसके अलावा सितम्बर में दिल्ली में होने वाले जी-20 शिखर सम्मेलन में भी शी जिनपिंग का आना प्रस्तावित है। इसलिए इस सैन्य वार्ता पर सभी की नजरें लगी हुई थीं लेकिन कुछ ठोस नहीं निकला।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि चीन दरअसल कभी विश्वसनीय नहीं रहा। इसलिए भारत जानता है कि उसकी बातों में नहीं आना है और ठोस नतीजे हासिल करने हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय सेना और सरकार का जो दृढ़ रुख है उससे हम टस से मस नहीं हुए। उन्होंने कहा कि पीछे चीन को ही हटना पड़ेगा क्योंकि उसने समझौतों का उल्लंघन किया है। उन्होंने कहा कि पूर्वी लद्दाख में जितनी बड़ी तैनाती दोनों ओर से की गयी है उस पर काफी खर्च दोनों को उठाना पड़ रहा है। हम तो फिर भी अच्छी स्थिति में हैं इसलिए फर्क नहीं पड़ेगा लेकिन आर्थिक संकट से जूझ रहा चीन जल्द ही अपनी जिद छोड़ने पर मजबूर हो सकता है। उन्होंने कहा कि इसके अलावा भारत सरकार ने लगातार चीन को आर्थिक मोर्चे पर जो पटखनी दी है उससे भी ड्रैगन की सेहत पर असर पड़ा है।
इसे भी पढ़ें: आखिर BRICS Summit पर क्यों टिकी पूरी दुनिया की निगाहें? 23 देश बनना चाहते हैं मेंबर, क्या होगी जिनपिंग-मोदी की मुलाकात, विस्तार से समझें
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि दोनों पक्षों द्वारा दो दिवसीय सैन्य वार्ता समाप्त होने के एक दिन बाद जारी किये गये संयुक्त बयान को देखें तो इसमें कहा गया है कि “दोनों पक्षों ने पश्चिमी क्षेत्र में एलएसी पर शेष मुद्दों के समाधान पर सकारात्मक, रचनात्मक और गहन चर्चा की।” उन्होंने कहा कि नयी दिल्ली में विदेश मंत्रालय द्वारा जारी बयान में कहा गया, “नेतृत्व द्वारा दिए गए मार्गदर्शन के अनुरूप, उन्होंने खुले और दूरदर्शी तरीके से विचारों का आदान-प्रदान किया।” उन्होंने कहा कि बयान में कहा गया, “दोनों पक्षों के बीच पश्चिमी क्षेत्र में एलएसी पर शेष मुद्दों के समाधान पर सकारात्मक, रचनात्मक और गहन चर्चा हुई। नेतृत्व द्वारा दिए गए मार्गदर्शन के अनुरूप, उन्होंने खुले और दूरदर्शी तरीके से विचारों का आदान-प्रदान किया।” उन्होंने कहा कि बयान में कहा गया, “वे शेष मुद्दों को शीघ्रता से हल करने तथा सैन्य और राजनयिक चैनलों के माध्यम से संवाद और बातचीत की गति बनाए रखने पर सहमत हुए।” दिल्ली और बीजिंग में एक साथ जारी बयान में कहा गया है, ‘‘अंतरिम तौर पर, दोनों पक्ष सीमावर्ती क्षेत्रों मेंशांति बनाए रखने पर सहमत हुए हैं।’’
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि यह पता चला है कि भारतीय पक्ष ने देपसांग और डेमचोक में लंबित मुद्दों को हल करने के लिए पुरजोर दबाव डाला। उन्होंने कहा कि हालांकि भारत-चीन कोर कमांडर-स्तरीय बैठक के 19वें दौर के बाद जारी बयान में पूर्वी लद्दाख में गतिरोध वाले शेष बिंदुओं पर सैनिकों की वापसी में किसी तत्काल सफलता का संकेत नहीं मिला। उन्होंने कहा कि वैसे यह पहली बार था कि लंबे समय से चल रहे सीमा विवाद पर उच्च स्तरीय सैन्य वार्ता दो दिन तक चली। उन्होंने कहा कि मामले के बारे में जानकारी रखने वाले लोगों ने बताया कि दो दिनों के दौरान कुल करीब 17 घंटे चर्चा हुई। यह वार्ता 13-14 अगस्त को भारतीय सीमा पर चुशुल-मोल्डो सीमा बैठक बिंदु पर आयोजित की गयी थी। उन्होंने कहा कि वार्ता प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ब्रिक्स (ब्राजील-रूस-भारत-चीन-दक्षिण अफ्रीका) के शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए जोहानिसबर्ग की यात्रा से एक सप्ताह पहले हुई है। उन्होंने कहा कि यात्रा के दौरान वहां उनका चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग से आमना-सामना होगा।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि हमें यह भी ध्यान रखना चाहिए कि अप्रैल में 18वें दौर की सैन्य वार्ता के बाद विदेश मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान में कहा गया था कि “दोनों पक्ष निकट संपर्क में रहने और सैन्य और राजनयिक चैनलों के माध्यम से बातचीत बनाए रखने और शेष मुद्दों का जल्द से जल्द पारस्परिक रूप से स्वीकार्य समाधान निकालने पर सहमत हुए थे।” उन्होंने कहा कि भारत सरकार पूर्वी लद्दाख को पश्चिमी सेक्टर के तौर पर संदर्भित करती है। उन्होंने कहा कि भारतीय और चीनी सैनिक पूर्वी लद्दाख में गतिरोध के कुछ बिंदुओं पर तीन साल से अधिक समय से टकराव की स्थिति में हैं, हालांकि दोनों पक्षों ने व्यापक राजनयिक और सैन्य वार्ता के बाद कई क्षेत्रों से सैनिकों की वापसी पूरी कर ली है।