पाकिस्तान के अंतरिम सूचना मंत्री मुर्तजा सोलांगी ने रविवार को कहा कि गिलगित-बाल्टिस्तान में स्थिति पूरी तरह से शांतिपूर्ण है। मंत्री का यह बयान इस क्षेत्र में सांप्रदायिक तनाव के कारण अधिकारियों के मजबूर होकर अगले आदेश तक मोबाइल इंटरनेट सेवाओं को बंद करने के बीच आया है।
क्षेत्र के गृह विभाग द्वारा जारी बयान के हवाले से सोलांगी ने ‘एक्स(पूर्व में ट्विटर)’ पर लिखा, गिलगित-बालटिस्तान में स्थिति पूरी तरह से शांतिपूर्ण है और पाकिस्तानी सेना की तैनाती को लेकर मीडिया में प्रसारित हो रही खबरें निराधार हैं।
उन्होंने बताया कि क्षेत्र में सभी सड़कें, व्यवसायिक केंद्र, व्यापारिक गतिविधियां और शिक्षण संस्थान पहले की तरह खुले हुए हैं। इस क्षेत्र में सुन्नी और शिया मुस्लिमों के बीच दुश्मनी का पुराना इतिहास रहा है।
मंत्री ने बताया कि चेहल्लुम या अरबईन की पूर्व संध्या पर कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए पाकिस्तानी सेना और असैन्य सशस्त्र बलों की सेवाएं मांगी गई हैं। चेहल्लुम, इराक के करबला में हुई लड़ाई में पैगंबर मोहम्मद के नवासे इमाम हुसैन की शहादत के 40वें दिन होता है।
उन्होंने कहा कि पूर्व की परंपरा को देखते हुए जुलूस मार्गों और इमामबाड़ों की सुरक्षा के लिए विशेष उपाय किए गए हैं, जिसमें कानून और व्यवस्था बनाए रखने, जीवन की रक्षा करने और किसी भी अप्रिय घटना से बचने के लिए पूरे क्षेत्र में धारा 144 लागू की गई है।
गिलगित में एक विरोध प्रदर्शन के दौरान एक प्रख्यात सुन्नी मौलवी द्वारा कथित तौर पर अपमानजनक टिप्पणी किए जाने के कुछ घंटों बाद एक शिया समूह के आह्वान पर गिलगित शहर और आसपास के इलाकों में विरोध प्रदर्शन किया गया था, जिसके बाद क्षेत्र में स्थिति तनावपूर्ण हो गई।
इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने मौलवी के खिलाफ कार्रवाई की मांग की।
डॉन अखबार के अनुसार, दोनों तरफ से कथित अपमानजनक टिप्पणी के कारण प्राधिकारी एक सप्ताह से तनावपूर्ण स्थिति से निपटने की कोशिश कर रहे हैं। इस दौरान क्षेत्र में अगले आदेश तक मोबाइल इंटरनेट सेवाओं को बंद कर दिया गया है।
अखबार के मुताबिक, गिलगित के पुलिस थाने में सुन्नी मौलवी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है, जबकि अन्य प्राथमिकी स्कर्दू में प्रख्यात शिया मौलवी के खिलाफ दर्ज की गई है।
इस बीच, ब्रिटेन ने शनिवार को कनाडा और अमेरिका की तरह अपने नागरिकों को उत्तरी क्षेत्रों में जाने से बचने की सलाह दी है।