अमेरिकी निर्वासन विवाद के बीच सूत्रों ने कहा कि सरकार विदेश में काम करने वाले भारतीय नागरिकों के लिए एक नया कानून बनाने जा रही है। अमेरिका में बिना दस्तावेज वाले अप्रवासियों पर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की कार्रवाई के बीच 13 बच्चों सहित 104 अवैध भारतीय प्रवासियों को लेकर एक अमेरिकी सैन्य विमान अमृतसर के अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उतरा। इसके एक दिन बाद इस तरह की खबरें सामने आ रही हैं। यह पहली बार है कि 20 जनवरी को अपने कार्यालय में पहले दिन ट्रम्प द्वारा शुरू की गई व्यापक कार्रवाई के तहत भारतीय अवैध अप्रवासियों को अमेरिका से निर्वासित किया गया है। अमेरिका से निर्वासित किए गए भारतीय नागरिकों ने दावा किया कि उन्हें पूरी यात्रा के दौरान हाथ-पैर बांधकर सैन्य विमान से वापस भेजा गया।
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विदेश मंत्री एस जयशंकर ने राज्यसभा में कहा कि अमेरिका में बिना दस्तावेज़ों के रह रहे भारतीयों को निर्वासित किए जाने की प्रक्रिया नयी नहीं है और यह सभी देशों का दायित्व है कि यदि उनके नागरिक विदेशों में अवैध रूप से रह रहे हैं तो उन्हें वापस ले। राज्यसभा में इस संबंध में एक बयान देते हुए जयशंकर ने यह भी कहा कि हम यह सुनिश्चित करने के लिए अमेरिका की सरकार के साथ बातचीत कर रहे हैं कि निर्वासित लोगों के साथ दुर्व्यवहार न हो। उन्होंने कहा कि यह सभी देशों का दायित्व है कि यदि उनके नागरिक विदेश में अवैध रूप से रह रहे पाए जाते हैं तो वे अपने नागरिकों को वापस लें। यह नीति केवल एक देश पर लागू नहीं है। निर्वासन की प्रक्रिया कोई नयी नहीं है, यह कई वर्षों से है।
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गौरतलब है कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ व्यापक वार्ता के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की आगामी वाशिंगटन यात्रा से कुछ ही दिन पहले यह कार्रवाई हुई है। निर्वासित लोगों में से 30 पंजाब से, 33-33 हरियाणा और गुजरात से, तीन-तीन महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश से तथा दो चंडीगढ़ से हैं। निर्वासित किये गये लोगों में 19 महिलाएं और चार वर्षीय एक लड़का, पांच व सात वर्षीय दो लड़कियों सहित 13 नाबालिग शामिल हैं।
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