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आजादी की लड़ाई, Brics में स्थायी सदस्यता का समर्थन…सामने खड़े थे मोदी, इंडोनेशियाई राष्ट्रपति एक लाइन से गिनाने लगे भारत के एहसान

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांतो के साथ व्यापक वार्ता की। बातचीत में दोनों देशों ने समग्र द्विपक्षीय संबंधों को नयी गति देने, खासकर रक्षा विनिर्माण तथा आपूर्ति श्रृंखला के क्षेत्रों में संयुक्त रूप से काम करने पर सहमति जतायी। इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांतो ने कह कि मैं भारत की अपनी पहली राजकीय यात्रा में मुझे दिए गए सम्मान के लिए अपनी सर्वोच्च कृतज्ञता दोहराना चाहता हूं। आज राष्ट्रपति ने मेरा बहुत सम्मान के साथ स्वागत किया। प्रधानमंत्री मोदी और उनकी सरकार तथा मेरे और मेरी सरकार के बीच बहुत गहन और बेहद स्पष्ट चर्चा हुई। हमने साझा हित के कई प्रमुख क्षेत्रों पर चर्चा की। हम आर्थिक क्षेत्र में सहयोग के स्तर को बढ़ाना चाहते हैं। मैंने अपनी टीम को विनियमन को तेज करने, नौकरशाही को कम करने और भारत-इंडोनेशिया के साझा द्विपक्षीय हितों को सबसे आगे रखने के निर्देश दिए हैं।

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राष्ट्रपति ने भारत को इंडोनेशिया की स्वतंत्रता संग्राम के समय दिए गए समर्थन के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने यह भी बताया कि इंडोनेशिया में भारतीय दूतावास की जमीन भारत को उपहार के रूप में दी गई थी। तब अन्य देशों ने इंडोनेशिया को मान्यता नहीं दी थी। उन्होंने भारत को ब्रिक्स में इंडोनेशिया की स्थायी सदस्यता का समर्थन करने और ग्‍लोबल साउथ की आवाज बनने के लिए भी धन्यवाद दिया।

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भारत और इंडोनेशिया के संबंध हजारों वर्ष पुराने हैं। रामायण और महाभारत से प्रेरित गाथाएं और बाली जात्रा  हमारे लोगों के बीच अनवरत सांस्कृतिक और ऐतिहासिक संबंधों के जीते-जागते प्रमाण हैं। मेरी इंडोनेशिया यात्रा के दौरान हमने अपनी साझेदारी को Comprehensive strategic partnership के रूप में आगे बढ़ाया था। आज राष्ट्रपति प्राबोवो के साथ आपसी सहयोग के विभिन्न पहलुओं पर व्यापक चर्चा हुई। भारत मध्याह्न भोजन योजना और सार्वजनिक वितरण प्रणाली से प्राप्त अपने स्वास्थ्य और खाद्य सुरक्षा ज्ञान को इंडोनेशिया के साथ साझा कर रहा है। हमने ऊर्जा, महत्वपूर्ण खनिज, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष और एसटीईएम शिक्षा के क्षेत्रों में एक साथ काम करने का भी निर्णय लिया है।

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