वैसे तो इस्लाम के सभी अनुयायी खुद को मुसलमान कहते हैं। लेकिन इस्लामी कानून यानी फिकह और इतिहास की अपनी-अपनी समझ के अनुसार मुसलमान कई पंथों में बंटा है। मुसलमान 3 अभिजात में से एक अहमदिया मुसलमानों के साथ पाकिस्तान में टकराव की घटना लगातार आती रही है जिनमें उनकी मौत भी होती रही। वहीं भारत में भी अहमदिया खबरों में बने रहते हैं। दरअसल, अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय ने अहमदिया मुस्लिम समुदाय के खिलाफ उत्पीड़न के एक मामले में हस्तक्षेप किया है जिसमें आंध्र प्रदेश वक्फ बोर्ड ने एक प्रस्ताव पारित कर समुदाय को काफिर और गैर मुस्लिम बताया था। आंध्र प्रदेश सरकार को कड़े शब्दों में लिखे एक पत्र में अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय ने वक्फ बोर्ड के प्रस्ताव को एक नफरत अभियान बताया, जिसका पूरे देश में असर हो सकता है। पत्र में कहा गया कि बड़े पैमाने पर अहमदिया समुदाय के खिलाफ घृणा अभियान है और वक्फ बोर्ड के पास अहमदिया सहित किसी भी समुदाय की धार्मिक पहचान निर्धारित करने का अधिकार नहीं है। भारत में जहां मोदी सरकार अगमदिया मुस्लिमों का खुले तौर पर समर्थन कर रही है। वहीं पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान में मुस्लिम कट्टरपंथी हिंसा पर उतारू हैं। अहमदिया मुसलमानों की मस्जिदों की मीनारों को जबरदस्ती तोड़ा जा रहा है और अहमदिया मुसलमानों को भी सताया जा रहा है।
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अहमदिया मुस्लिमों के खिलाफ पाकिस्तान में अभियान
पाकिस्तानी अखबार डॉन की रिपोर्ट के अनुसार अहमदी समुदाय के खिलाफ अभियान चलाया जा रहा है। डॉन ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि अहमदियों को ईदुल अजहा पर कुर्बानी देने से रोकने के लिए पिछले महीने एक अभियान के बाद, समुदाय के खिलाफ शुरू किए गए नवीनतम अभियान में उनके इबादत स्थलों की मीनारों को ध्वस्त करना किया जा रहा है। इस अभियान का नेतृत्व तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (टीएलपी) कर रहा है। झेलम के पास सराय आलमगीर शहर में टीएलपी के सोशल मीडिया विंग द्वारा जारी एक पोस्टर में कहा गया है: “शानदार चौक से कादियानी सेंटर तक, सभी मीनारें ध्वस्त कर दी जाएंगी। पोस्टर में कहा गया है कि यह अभियान मुहर्रम की 10 तारीख (29 जुलाई) को सुबह 10 बजे सराय आलमगीर में टीएलपी के कार्यालय से शुरू होगा।
संयुक्त राष्ट्र ने पाकिस्तान को धो डाला
मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय (ओएचसीएचआर) ने पाकिस्तान में अहमदियों के साथ हो रहे व्यवहार पर चिंता व्यक्त की है और सरकार से अंतरराष्ट्रीय कानून के उल्लंघन के आरोपों पर जवाब देने को कहा है। ओएचसीएचआर ने अपने पत्र में कहा कि हम आपकी सरकार का ध्यान उस जानकारी की ओर दिलाना चाहते हैं जो हमें बढ़ते भेदभाव और पाकिस्तान में अहमदी धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ नफरत भरे भाषण और हिंसा भड़काने की बढ़ती घटनाओं के बारे में मिली है, जिसमें उनके इबादत स्थलों पर हमले और डराने-धमकाने के अन्य कृत्य शामिल हैं।
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पाकिस्तान और अहमदिया
सबसे पहले आपको धर्म के आधार पर बने पाकिस्तान के धार्मिक पृष्ठभूमि से अवगत कराते हैं। पाकिस्तान में 95 से 98 प्रतिशत इस्लाम को मानने वाले लोग हैं। यहां के मुसलमान 3 अभिजात में विभाजित हैं जिनमें सुन्नी, शिया और अहमदिया शामिल हैं। आम सुन्नी मुसलमानों का मत हैं कि इस्लाम के अंतर्गत ‘अहमदिया’ वो भटके हुए लोग हैं जिनका इस्लाम से कोई लेना देना नहीं है और ये अपनी हरकतों से लगातार इस्लाम का नाम खराब कर रहे हैं।