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देश और दुनिया में 17 जुलाई को मोहर्रम का त्यौहार मनाया जा रहा है। इसी बीच मोहर्रम से पहले अफ़ग़ानिस्तान में एक बड़ा फैसला लिया गया है। अफगानिस्तान में शरिया कानून का पालन होता है। मोहर्रम के दौरान आमतौर पर छाती पीटने और खुद को मारने की प्रथा है। हालांकि इस बार तालिबानी शासन ने मोहर्रम पर छाती पीटने और खुद को करने पर बैन लगाया है।
तालिबान ने इस वर्ष मोहर्रम मनाए जाने को लेकर कड़े कानून बनाए हैं। इसके तहत शोक मनाने वाले समूह को अब खुद को मारने की अनुमति नहीं होगी। साथ ही मोहर्रम पर छाती पीटने की प्रक्रिया को भी बंद किया गया है। जो इन आदेशों को नहीं माना जाएगा उन्हें तालिबानी शासन के तहत दंड को भुगतना होगा। मोहर्रम को लेकर बनाए गए कानून से पहले शिया गुरुओं से सहमति ली गई है।
– तालिबान के नए नियम के अनुसार मोहर्रम के दौरान सिर्फ मस्जिदों या सरकारी अधिकारियों और शिया विद्वानों की तरह से जो स्थान बनाए गए हैं वहीं पर समारोह आयोजित होगा।
– शिया आबादी वाले क्षेत्रों में शोक समारोह शिया मस्जिद में आयोजित होगा। विशेष परिस्थितियों में ही झंडा फहराया जाएगा।
– जो लोग शोक बनाने के लिए आना चाहते हैं उनसे अपील की गई है कि वह समूह में ना आए। शोक मनाने वालों का प्रवेश होने के बाद मस्जिदों को बंद किया जाएगा। बंद दरवाजे के पीछे ही शोक समारोह आयोजित किया जाएगा।
– शोक समारोह के दौरान विलाप पाठ और ऑडियो नहीं बजाया जाएगा।
– जिस जगह पर झंडे वितरण होंगे वह जगह पहले से तय की जाएगी। समारोह में छाती पीटने पर भी बन किया गया है।