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Israel Hamas: युद्ध से अचानक भागे मुस्लिम देश? चप्पे-चप्पे में फैले अमेरिकी कमांडो

इस वक्त दुनिया में दो बड़े युद्ध हो रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ दो महाशक्तियों के बीच भी टकराव देखने को मिल रहा है। गाजा युद्ध पिछले दो हफ्तों से दुनिया के लिए तनाव तकी वजह बना हुआ है तो वहीं पिछले दो साल से यूक्रेन और रूस के बीच का युद्ध पूरी दुनिया पर अपना प्रभाव डाल रहा है। अमेरिका रूस के राष्ट्रपति पुतिन की तुलना हमास से कर रहा है तो वहीं रूसी राष्ट्रपति चीन के साथ मिलकर गाजा पट्टी को लेकर नई रणनीति बना रहे हैं। गाजा पर इजरायल के हमले के खिलाफ सभी मुस्लिम देश एकजुट हैं। लेकिन जब बात गाजा के लोगों को शरण देने की उठती है तो एक भी मुस्लिम देश आगे नहीं आते हैं। गाजा से सटी सीमा वाले मिस्र ने साफ कर दिया है कि वो एक भी शर्णार्थी को अपने देश में घुसने नहीं देगा। कुछ ऐसा ही बयान इजरायल के पड़ोसी देश जॉर्डन ने भी दिया है जिसकी सीमा वेस्ट बैंक से सटी है। 

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वहीं इजरायल के हमलों से बेहाल हजारों गाजा निवासी मदद की आस लिए मिस्र से सटे बॉर्डर पर जमा हो रहे हैं। लेकिन तमाम कोशिशों के बावजूद भी मिस्र से गाजा को जोड़ने वाले राफा बॉर्डर क्रॉसिंग लोगों के लिए नहीं खुल पाया है। मिस्र के राष्ट्रपति फतह अल सिसि ने आशंका जताई है कि शरणार्थियों की आड़ लेकर हमास के आतंकी भी उनके मुल्क में घुस जाएंगे। मिस्र को ये भी डर है कि जहां भी हमास के आतंकी पहुंचेंगे वहां इजरायल हमले कर सकता है। ईरान, इराक, तुर्की और कतर समेत मिडिल ईस्ट के तमाम देश फिलिस्तीन के समर्थन और इजरायल के विरूद्ध बयानबाजी तो कर रहे हैं। लेकिन कोई भी देश गाजा के शरणार्थियों की समस्या पर अपना मुंह नहीं खोल रहा है। 

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अमेरिका ने मिडिल ईस्ट के कई देशों में अपने सैनिकों की तैनाती कर दी है। इराक में अमेरिका के 2500 सैनिक जबकि सीरिया में 900, तुर्की में 2500, जॉर्डन में 3000, कुवैत में 13000, बहरीन में 7000, कतर में 13000, सऊदी अरब में 3000, यूएई में 5000 और ओमान में 600 सैनिक हैं। अमेरिका और रूस जैसी महाशक्तियों के बीच जुबानी जंग के बीच चीन मौके का फायदा उठाने से नहीं चूक रहा है। अमेरिका रक्षा विभाग के रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया की आंख में धूल झोंकते हुए चीन अपनी परमाणु क्षमता बढ़ा रहा है।  

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