ईरान में महिला अधिकारों, लोकतंत्र और मृत्युदंड के खिलाफ वर्षों से लगातार संघर्ष कर रहीं और इस समय जेल में बंद कार्यकर्ता नरगिस मोहम्मदी को इस वर्ष के नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित करने की घोषणा की गई। नॉर्वे नोबेल समिति की अध्यक्ष बेरिट रीस-एंडरसन ने शुक्रवार को ओस्लो में पुरस्कार की घोषणा की। मोहम्मदी (51) ने अपने आंदोलन की वजह से बार-बार गिरफ्तार होने और जेल जाने के बावजूद अपना काम जारी रखा। रीस-एंडरसन ने कहा, ‘‘ सबसे पहले यह पुरस्कार ईरान में पूरे आंदोलन के लिए बहुत अहम कार्य और उसकी निर्विवाद नेता नरगिस मोहम्मदी को मान्यता देने के लिए है।’’ उन्होंने उम्मीद जताई कि ‘‘इस सम्मान से इस आंदोलन को, चाहे जिस भी रूप में हो, जारी रखने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा।’’
रीस-एंडरसन ने ईरान से अपील की कि वह मोहम्मदी को रिहा कर दे, ताकि वह 10 दिसंबर को आयोजित पुरस्कार समारोह में शामिल हो सकें। मोहम्मदी के करीब पूरे जीवन में ईरान पर सर्वोच्च नेता के नेतृत्व में शिया धर्म तंत्र का शासन रहा है। ईरान में महिलाएं नौकरी कर सकती हैं, शैक्षणिक पदों पर आसीन हो सकती हैं और यहां तक उनकी सरकार में नियुक्ति हो सकती है, लेकिन उनकी जिंदगी कड़े नियंत्रण में है। कानून के तहत सभी महिलाओं को सिर ढकना होता या हिजाब पहनना होता है, ताकि धर्मपरायण होने के प्रतीक के तौर पर उनके बाल ढके रहे।ईरान और पड़ोसी देश अफगानिस्तान ही ऐसे देश हैं, जहां पर इस नियम का अनुपालन करना अनिवार्य है।
‘द न्यूयॉर्क टाइम्स’ को दिए गए बयान में मोहम्मदी ने कहा, ‘‘मानवाधिकार के लिए मेरे आंदोलन को मिला वैश्विक समर्थन और मान्यता मुझे और दृढ़, जिम्मेदार, जुझारू और आशावान बनाता है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मुझे उम्मीद है कि इस मान्यता से बदलाव के लिए ईरानियों का प्रदर्शन और मजबूत व संगठित होगा। जीत नजदीक है।’’ रीस-एंडरसन ने बताया कि मोहम्मदी 13 बार जेल गईं और उन्हें पांच बार दोषी करार दिया गया, उन्हें कुल 31 साल कारावास की सजा सुनाई गई है। मोहम्मदी की हालिया गिरफ्तारी 2021 में तब हुई, जब उन्होंने पेट्रोलियम पदार्थों की कीमतों में वृद्धि के खिलाफ राष्ट्रव्यापी प्रदर्शन में मारे गए एक व्यक्ति की याद में आयोजित श्रद्धांजलि कार्यक्रम में हिस्सा लिया। उन्हें तेहरान के कुख्यात इविन कारागार में रखा गया है।
इसी जेल में पश्चिमी देशों से संपर्क रखने के आरोपियों और राजनीतिक कैदियों को रखा गया है। जिनेवा स्थित संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय की प्रवक्ता रवीना शामदासानी ने कहा, ‘‘ईरान की महिलाएं दुनिया के लिए प्रेरणा हैं। प्रतिशोध, धमकी, हिंसा और हिरासत के सामने उनका साहस और दृढ़ संकल्प उल्लेखनीय रहा है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम उनकी और ईरान में हिरासत में लिये गए मानवाधिकार के सभी रक्षकों की रिहाई की मांग करते हैं।’’ मोहम्मदी 19वीं महिला हैं, जिन्हें नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया है, जबकि यह उपलब्धि हासिल करने वाली वह दूसरी ईरानी महिला हैं। मोहम्मदी से पहले 2003 में शिरिन इबादी को शांति के नोबेल पुस्कार से सम्मानित किया गया था।
नोबेल पुरस्कार के 122 साल के इतिहास में यह पांचवी बार है, जब शांति पुरस्कार किसी ऐसे व्यक्ति को दिया गया है जो कारागार में था या नजरबंद था। पिछले साल नोबेल शांति पुरस्कार विजेताओं में शामिल बेलारूस के मानवाधिकार कार्यकर्ता एलेस बियालियात्स्की भी कारागार में थे। वह अब भी जेल में हैं। मोहम्मदी हाल में 22 वर्षीय महसा अमीनी की मौत पर देशव्यापी विरोध प्रदर्शन के लिए जेल में हैं। अमीनी की देश की लोकाचार पुलिस द्वारा हिरासत में लिए जाने के बाद मृत्यु हो गई थी। उनकी मौत ने ईरान में स्थापित धर्म आधारित शासन के समक्ष सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक चुनौती पेश की। अमीनी की मौत के बाद देश भर में शुरू हुए आंदोलन में 500 से अधिक लोग सुरक्षा बलों की कार्रवाई में मारे गए ,जबकि करीब 22 हजार लोगों को गिरफ्तार किया गया।
हालांकि, कारागार में रहने के बावजूद मोहम्मदी ने ‘द न्यूयॉर्क टाइम्स’ में लेख लिखा। उन्होंने लिखा, ‘‘ सरकार जो संभवत: समझ नहीं पा रही है, वह यह है कि जितनी हम लोगों पर बंदिशें लगाई जाएंगी, उतने ही हम मजबूत होंगे।’’ तेहरान से आई पहली प्रतिक्रिया में अर्द्ध सरकारी ‘फारस’ समाचार एजेंसी ने मोहम्मदी को खारिज करते हुए कहा कि वह ऐसी महिला हैं ‘‘जो तनाव और अशांति पैदा करने में संलग्न रही और जिन्होंने कारागार में पिटाई करने का झूठा दावा किया।’’ ‘फारस’ को ईरान के कट्टरपंथी अर्द्धसैनिक बल रिवॉल्यूशनरी गार्ड का करीबी माना जाता है। रिवॉल्यूशनरी गार्ड केवल सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामनेई के प्रति जवाबदेह है।
ईरानी कारागारों में उत्पीड़न ऐसा मुद्दा है, जिसके खिलाफ मोहम्मदी ने कारागार में रहने या बाहर रहने के दौरान अभियान चलाया है। ईरानी जेलों में उत्पीड़न की बड़े पैमाने पर जानकारी संयुक्त राष्ट्र और मानवाधिकार समूहों को दी गई है। कारागार में डाले जाने से पहले मोहम्मदी ईरान में प्रतिबंधित ‘डिफेंडर ऑफ ह्यूमन राइट्स सेंटर’ की उपाध्यक्ष थीं। वह संस्था के संस्थापक इबादी की करीबी हैं। पेशे से इंजीनियर मोहम्मदी को 2018 में आंद्रेई साखारोव पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। अभिव्यक्ति की आजादी की वकालत करने वाले संगठन पीईएन अमेरिका ने इस साल मोहम्मदी को अपने पीईएन/बार्बे फ्रीडम ऑफ राइट अवार्ड से सम्मानित किया था। संगठन ने मोहम्मदी के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित होने की प्रशंसा की।
पीईएन अमेरिका की मुख्य कार्यकारी अधिकारी सुजैन नोसेल ने यहां जारी एक बयान में कहा, ‘‘ पुरस्कार के लिए यह चयन उनके साहस और अनगिनत महिलाओं और लड़कियों के लिए एक भेंट है, जो ईरान की सड़कों पर उतरीं और अपने अधिकारों की मांग के लिए अपनी जान जोखिम में डालकर दुनिया के सबसे क्रूर और जिद्दी शासन में से एक का सामना किया।’’ नोबेल पुरस्कार में 1.1 करोड़ स्वीडिश क्रोनर (लगभग 10 लाख अमेरिकी डॉलर) का नकद पुरस्कार दिया जाता है। दिसंबर में पुरस्कार समारोह में विजेताओं को 18 कैरेट का स्वर्ण पदक और डिप्लोमा भी प्रदान किया जाता है। एलेस बियालियात्स्की के अलावा यूक्रेन और रूस के अन्य मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने भी पिछले साल नोबेल शांति पुरस्कार साझा किया था।
नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित लोगों में दक्षिण अफ्रीका के रंगभेद विरोधी नेता नेल्सन मंडेला, अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा, रूस के पूर्व राष्ट्रपति मिखाइल गोर्बाचेव और म्यांमा की लोकतंत्र समर्थक नेता आन सू ची शामिल हैं।स्टॉकहोम में चुने और घोषित किए जाने वाले अन्य नोबेल पुरस्कारों के विपरीत, पुरस्कार के संस्थापक अल्फ्रेड नोबेल ने अपनी वसीयत में कहा कि शांति पुरस्कार का निर्णय ओस्लो में पांच सदस्यीय नॉर्वे की नोबेल समिति करेगी, जिसका गठन नार्वे की संसद द्वारा किया जाता है।