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एनडीएए का मकसद भारत-अमेरिका के बीच मजबूत रक्षा संबंध

वाशिंगटन। अमेरिकी सीनेट द्वारा पारित 858 अरब डॉलर के रक्षा बिल का मकसद भारत और अमेरिका के बीच रक्षा संबंधों को और मजबूत बनाना, रूस निर्मित सैन्य उपकरणों पर नयी दिल्ली की निर्भरता घटाने के प्रयासों को समर्थन देना और चीन द्वारा अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा के समक्ष उत्पन्न चुनौतियों से निपटने के उपाय करने के लिए अरबों डॉलर की मदद मुहैया करना है।
अमेरिकी सीनेट ने बृहस्पतिवार को राष्ट्रीय रक्षा प्राधिकार अधिनियम (एनडीएए) को 11 के मुकाबले 83 मतों से मंजूरी दे दी थी। प्रतिनिधि सभा में यह बिल आठ दिसंबर को 80 के मुकाबले 350 वोटों से पारित हो गया था।

अब इस बिल को कानून की शक्ल देने के लिए राष्ट्रपति जो बाइडन की स्वीकृति के वास्ते भेजा गया है।
एनडीएए का मकसद अमेरिका के रक्षा एवं वित्त विभागों को भारत के साथ उभरती प्रौद्योगिकी, संयुक्त अनुसंधान एवं विकास और रक्षा एवं साइबर क्षमता निर्माण सहित अन्य क्षेत्रों में भागीदारी एवं सहयोग बढ़ाने तथा रूस निर्मित रक्षा उपकरणों पर निर्भरता घटाने में नयी दिल्ली की मदद करने का निर्देश देकर अमेरिका-भारत संबंधों को और मजबूती प्रदान करना है।
सीनेट की सशस्त्र सेवा समिति के अध्यक्ष जैक रीड ने कहा कि एनडीएए अमेरिका की सुरक्षा के लिए अहम प्रमुख गठबंधनों और साझेदारियों को मजबूत करता है।
उन्होंने कहा, “इस वर्ष के एनडीएए में लक्षित निवेश, आवश्यक सुधार और उन्नत सोच शामिल है।

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यह बिल हमारे जहाजों, विमानों और अन्य उपकरणों के आधुनिकीकरण के अलावा हाइपरसोनिक, एआई (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) और क्वांटम कंप्यूटिंग जैसी विघटनकारी प्रौद्योगिकियों और चीन तथा रूस के साथ रणनीतिक प्रतिस्पर्धा सहित अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों को संबोधित करता है।”
एनडीएए की धारा-1260 के अनुसार, भारत के साथ रक्षा सहयोग को विस्तार देने के लिए जिन क्षेत्रों पर ध्यान दिया जाना चाहिए, उनमें खुफिया जानकारियां जुटाने की क्षमता, मानव रहित विमान, चौथी एवं पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान, डिपो-स्तरीय रखरखाव, पांचवीं पीढ़ी का वायरलेस संचार, ओपन रेडियो एक्सेस नेटवर्क प्रौद्योगिकियां, साइबर सुरक्षा क्षमता और उभरती हुई प्रौद्योगिकियां शामिल हैं।

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