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जलवायु संबंधी नीतियों में मानवाधिकार के मुद्दों को शामिल करने जरूरत: मानवाधिकार आयोग प्रमुख

दुबई। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के प्रमुख अरुण मिश्रा ने कहा है कि जलवायु परिवर्तन के प्रभाव के संदर्भ में स्थानीय ज्ञान को बढ़ावा देने के लिए सामाजिक सुरक्षा योजनाओं को उचित धन मुहैया कराने के साथ जलवायु संबंधी नीतियों और कार्यक्रमों में मानवाधिकार के मुद्दों को भी शामिल करना होगा।
कतर की राजधानी दोहा में जलवायु परिवर्तन पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में मिश्रा ने यह भी कहा कि ग्रीन हाउस गैसें आज जलवायु परिवर्तन का करण बन रही हैं और इससे मानवाधिकार को लेकर गंभीर चिंताएं पैदा हो रही हैं।

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उनके मुताबिक, जलवायु परिवर्तन के कारण विस्थापन, संपत्ति का नुकसान, आय एवं स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी जरूरी सेवाओं तक पहंच प्रभावित हो रही है।
मिश्रा ने कहा, ‘‘ऐसे में यह जरूरी है कि जलवायु परिवर्तन प्रभाव के संदर्भ में स्थानीय ज्ञान को बढ़ावा देने और समुदाय आधारित अनुकूलता को लेकर सहयोग प्रदान करने के लिए सामाजिक सुरक्षा योजनाओं को उचित धन मुहैया कराया जाए तथा जलवायु संबंधी नीतियों और कार्यक्रमों के साथ मानवाधिकार के मुद्दों को शामिल किया जाए।’’

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उन्होंने कहा कि यह उचित नहीं होगा कि विकासशील देशों से भी समान उत्सर्जन मानकों का कड़ाई से अनुपालन किए जाने की उम्मीद की जाए।
मानवाधिकार आयोग के प्रमुख ने कहा, ‘‘विकासशील देशों को अक्सर अधिक संसाधनों और प्रौद्योगिकी की जरूरत होती है। इसे पूरा करने के लिए वैश्विक समुदाय को प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के क्षमता निर्माण को प्राथमिकता देनी होगी।

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