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पड़ोसियों को बनाए रखना चाहिए सौहार्दपूर्ण रवैया, अब भारत को नसीहत भी देने लग गया बांग्लादेश का कट्टरपंथी जमात ए इस्लामी

भारत के खिलाफ बांग्लादेश साजिशों की एक नई प्रयोगशाला बनता जा रहा है। भारत के पड़ोसी देश में अब कई खतरनाक प्रयोग होने शुरू हो गए हैं। हालत ये हो गई है कि बांग्लादेश के कट्टरपंथी अब भारत पर बयान जारी कर रहे हैं। बांग्लादेश की सबसे बड़ी इस्लामी राजनीतिक पार्टी जमात-ए-इस्लामी ने अब कहा है कि ढाका और नई दिल्ली को क्षेत्र में शांति सुनिश्चित करने के लिए सौहार्दपूर्ण तरीके से मिलकर काम करना चाहिए। ढाका में एएनआई से विशेष रूप से बात करते हुए जमात-ए-इस्लामी के उप अमीर सैयद अब्दुल्ला मोहम्मद ताहेर ने कहा कि बांग्लादेश इस संबंध में हमेशा ईमानदार रहा है। किसी के पास अपने पड़ोसी को बदलने का विकल्प है। बांग्लादेश पार्टी नेता ने कहा कि इसीलिए सभी पड़ोसियों को अनुकूल सकारात्मक रवैया और माहौल बनाए रखना चाहिए ताकि पड़ोसी देशों के बीच शांति बनी रहे।

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2013 में हाई कोर्ट के आदेश के बाद बांग्लादेश उच्चायोग द्वारा रजीस्ट्रेशन रद्द किए जाने के बाद जमात-ए-इस्लामी को चुनाव लड़ने से रोक दिया गया था। जमात ने आदेश के खिलाफ अपील की थी लेकिन बांग्लादेश के सुप्रीम कोर्ट ने 2023 में आदेश को बरकरार रखा। इस साल 30 जुलाई को जमात-ए-इस्लामी और उसके संबद्ध संगठनों पर शेख हसीना द्वारा प्रतिबंध लगा दिया गया था। रकार का यह निर्णय बांग्लादेश में विरोध प्रदर्शनों के बाद आया है, जिसके बारे में कहा जाता है कि इसे कट्टरपंथी इस्लामवादियों ने अपने कब्जे में ले लिया था, जिसके परिणामस्वरूप बड़े पैमाने पर मौतें हुईं। 

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लेकिन शेख हसीना के सत्ता से हटते ही नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने पार्टी पर से प्रतिबंध हटा दिया। पार्टी के डिप्टी अमीर का कहना है कि वह भारत के साथ अच्छे संबंधों की पक्षधर है। शफीकुर रहमान ने कहा कि भारत ने अतीत में कुछ ऐसे काम किए हैं जो बांग्लादेश को पसंद नहीं आए। हमें लगता है कि भारत और बांग्लादेश को एक दूसरे के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। जमात को पाकिस्तान से मदद मिलती है। वहीं इसी संगठन को चीन से फंडिंग मिलती है। 

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