शुक्रवार की रात आए 6.4 तीव्रता के शक्तिशाली भूकंप से प्रभावित पश्चिमी नेपाल के पर्वतीय जजरकोट जिले में तलाश और बचाव अभियान जारी रहने के बीच, अधिकारियों ने कई घायलों को तलहटी के अस्पतालों में स्थानांतरित कर दिया है और उनमें से कुछ को हवाई मार्ग से भारत भेजा जा सकता है।
पश्चिमी नेपाल में 2015 के बाद आए सबसे भीषण भूकंप में कम से कम 143 लोग मारे गए और 150 से अधिक अन्य घायल हो गए। भूकंप के कारण हिमालयी देश के दूरदराज के इलाकों में सैकड़ों घरों को नुकसान पहुंचा।
भूकंप का केंद्र काठमांडू से लगभग 500 किमी उत्तर पश्चिम में जजरकोट जिले में था। भारत-नेपाल सीमा के नजदीक हिमालय की तलहटी में स्थित नेपालगंज काठमांडू की तुलना में भूकंप प्रभावित क्षेत्र के करीब है।
भूकंप प्रभावित इलाकों से बच्चों समेत करीब 30 घायल लोगों को यहां भेरी अस्पताल लाया गया।
यह जजरकोट का निकटतम बड़ा अस्पताल है। भेरी अस्पताल के आपातकालीन विभाग के बाहर बड़ी संख्या में घायलों के प्रियजन जमा हो गए।
‘पीटीआई’ संवाददाता ने जब अस्पताल के आकस्मिक और सामान्य वार्ड का दौरा किया तो वहां बहुत से मरीज ऐसे थे जिनके हाथ या पैर की हड्डी टूटी थी।
नोडल अधिकारी और हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. विपिन आचार्य ने ‘पीटीआई’ को बताया कि अस्पताल का आकस्मिक वार्ड मरीजों से भरा हुआ है। उन्होंने कहा, “यहां लाए गए लोगों में से एक बुजुर्ग ने दम तोड़ दिया और दो की हालत गंभीर है।”
इस बीच, अस्पताल में मौजूद स्थानीय महापौर प्रशांत बिष्ट ने कहा कि उनकी टीम भूकंप में घायल हुए लोगों के परिवारों और रिश्तेदारों की मदद के लिए यहां पहुंची है।
महापौर ने यह भी कहा कि कुछ घायलों को सुरखेत रेफर किया गया है।
उन्होंने कहा, “भूकंप ने बहुत सारे दूरदराज के गांवों को प्रभावित किया। इतनी जल्दी यहां पहुंचना मुश्किल है और इसलिए हमें उम्मीद है कि कल और अधिक घायलों को यहां लाया जा सकता है। हमारा स्थानीय प्रशासन स्थिति से निपटने और घायलों की मदद करने में अस्पताल की सहायता कर रहा है।
उन्होंने कहा, “जब भी हमें अधिक लोग मिलेंगे, उनमें से कुछ को काठमांडू और कुछ को लखनऊ (भारत में) रेफर किया जा सकता है, ताकि एक ही अस्पताल पर मरीजों का बोझ न बढ़ जाए। हम उन्हें एयरलिफ्ट (हवाई मार्ग से भेजने) करने की योजना बना रहे हैं।