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काठमांडू । नेपाल के नव नियुक्त प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली 21 जुलाई को संसद में संविधान के अनुसार आवश्यक विश्वास मत हासिल करेंगे। मीडिया में आयी एक खबर में उनकी पार्टी के मुख्य सचेतक के हवाले से बुधवार को यह जानकारी दी गयी। ओली (72) ने सोमवार को चौथी बार इस हिमालयी देश के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली। ‘मायरिपब्लिका’ समाचार पोर्टल ने कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल-यूनीफाइड मार्क्सिस्ट लेनिनिस्ट (सीपीएन-यूएमएल) के मुख्य सचेतक महेश बरतौला के हवाले से बताया कि प्रधानमंत्री ओली ने रविवार को विश्वास मत हासिल करने का फैसला किया है।
नेपाल के संविधान के अनुसार, ओली को नियुक्ति के 30 दिन के भीतर संसद से विश्वास मत हासिल करना होगा। संभावना है कि ओली ऐसा आसानी से कर लेंगे, क्योंकि 275 सदस्यीय प्रतिनिधि सभा में सरकार बनाने के लिए न्यूनतम संख्या 138 है। नेपाल की सबसे बड़ी कम्युनिस्ट पार्टी के नेता को रविवार को राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने प्रधानमंत्री नियुक्त किया। ओली संसद में सबसे बड़ी पार्टी नेपाली कांग्रेस (एनसी) तथा अन्य छोटे दलों के साथ गठबंधन सरकार का नेतृत्व करेंगे। उन्होंने पुष्प कमल दाहाल ‘प्रचंड’ की जगह ली है जो पिछले सप्ताह प्रतिनिधि सभा में विश्वास मत हासिल नहीं कर पाये थे जिसके बाद नयी सरकार का गठन हुआ।
सीपीएन-यूएमएल अध्यक्ष अब नयी गठबंधन सरकार का नेतृत्व कर रहे हैं जिसके सामने इस हिमालयी देश में राजनीतिक स्थिरता प्रदान करने की चुनौती है। नेपाल में पिछले 16 साल में 14 सरकारें बनी हैं। ओली के शपथ ग्रहण समारोह के कुछ ही घंटों के भीतर तीन अधिवक्ता – दीपक अधिकारी, खगेंद्र प्रसाद चापागेन और शैलेंद्र कुमार गुप्ता ने नेपाल के उच्चतम न्यायालय में एक रिट याचिका दायर करते हुए उनकी नियुक्ति को चुनौती दी तथा इसे असंवैधानिक बताया। अधिवक्ताओं ने दलील दी कि यदि अनुच्छेद 76 (2) के अनुसार बनी सरकार प्रतिनिधि सभा में शक्ति परीक्षण में विफल रहती है तो राष्ट्रपति को अनुच्छेद 76 (3) के तहत नयी सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करना चाहिए। उच्चतम न्यायालय ने इस मामले में प्रारंभिक सुनवाई के लिए 21 जुलाई की तारीख तय की है। उसी दिन ओली संसद में विश्वास मत हासिल करेंगे।