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अब चीनी सेना में शामिल होंगे नेपाली गोरखा? भारत की अग्निपथ योजना का डर दिखा डोरे डाल रहा ड्रैगन

एक लोकप्रिय कहावत है कि एक आदमी का नुकसान दूसरे आदमी के लिए फायदेमंद होता है। ऐसा लगता है कि चीन ने इस बात को बखूबी सीख लिया है और अपनी नीति में भी इसे शामिल कर रहा है। रिपोर्टें सामने आई हैं कि बीजिंग नेपाल के प्रसिद्ध गोरखाओं को अपनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) में भर्ती करना चाहता है और ऐसा करने का उसका लंबा सपना आखिरकार सच हो सकता है। गोरखा कौन हैं? भारतीय सेना में उनका इतना सम्मान क्यों है? भारतीय सेना में उनकी भर्ती पर संकट के बादल क्यों मंडरा रहे हैं? यहां आपको इस मामले के बारे में विस्तार से बताते हैं।

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गोरखा और उनका इतिहास
चीन वर्षों से नेपाल के प्रसिद्ध योद्धाओं गोरखाओं को अपनी सेना में शामिल करना चाहता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि उन्होंने निडर और बहादुर होने की प्रतिष्ठा हासिल कर ली है। ये कठोर और मजबूत सैनिक हैं जो वर्षों से ब्रिटिश सेना और भारतीय सेना का हिस्सा रहे हैं। उनका आदर्श वाक्य ‘कायर होने से बेहतर मरना’ उनकी बहादुरी को दर्शाता है।
चीन की नजर गोरखाओं पर क्यों है?
ये उनकी बहादुरी और उनकी मजबूत प्रकृति ही है कि चीन उन्हें अपने पीएलए संख्या में जोड़ना चाहता है। अगस्त 2020 में बीजिंग ने नेपाल में एक अध्ययन शुरू किया था कि हिमालयी राष्ट्र के युवा भारतीय सेना में क्यों शामिल हुए। तब यह बताया गया कि भारतीय सेना में शामिल होने वाले युवा लड़कों की सदियों पुरानी परंपरा को समझने के लिए चीन ने नेपाली अध्ययन के लिए 12.7 लाख रुपये का वित्त पोषण किया था। विशेषज्ञों का कहना है कि यह चीन द्वारा अपनी तरह का पहला अध्ययन था।

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अग्निपथ योजना बनी समस्या
ऐसा लगता है कि भारत सरकार द्वारा हाल ही में शुरू की गई अग्निपथ योजना को लेकर नेपाली गोरखाओं में संशय है। इसलिए नेपाल द्वारा भारतीय सेना में अपनी भर्ती भेजने से इनकार कर दिया। 14 जून 2022 को घोषित, अग्निपथ योजना वह योजना है जिसमें चार साल की छोटी अवधि के लिए सशस्त्र बलों में भर्ती की जाती है, जिसके बाद केवल एक चौथाई सैनिकों को सेना में शामिल किया जाएगा, जबकि शेष को एक पैकेज के साथ छुट्टी दे दी जाएगी। 

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