इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने अदाणी समूह के साथ हाइफा बंदरगाह समझौते को एक ‘‘बड़ा मील का पत्थर’’ करार दिया और कहा कि इससे दोनों देशों के बीच संपर्क में कई तरह से सुधार होगा।
हाइफा बंदरगाह शिपिंग कंटेनर के मामले में इजराइल का दूसरा सबसे बड़ा पोत और पर्यटक क्रूज शिप के मामले में सबसे बड़ा बंदरगाह है।
नेतन्याहू ने अदाणी समूह के अध्यक्ष गौतम अदाणी के साथ ‘पोर्ट बुक’ पर हस्ताक्षर करने के बाद कहा, ‘‘मुझे लगता है कि यह एक बहुत बड़ा मील का पत्थर है … 100 से अधिक साल पहले और प्रथम विश्व युद्ध के दौरान, बहादुर भारतीय सैनिकों ने हाइफा शहर को मुक्त कराने में मदद की थी और आज बहुत मजबूत भारतीय निवेशक हाइफा बंदरगाह को आजादी दिलाने में मदद कर रहे हैं।’’
प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने कहा कि उन्होंने अपने ‘‘अच्छे दोस्त’’ एवं भारतीय समकक्ष नरेन्द्र मोदी के साथ ‘‘दोनों देशों के बीच परिवहन लाइन, हवाई मार्गों और समुद्री मार्गों समेत कई माध्यमों से संपर्क बढ़ाने के बारे में चर्चा की … और यह आज हो रहा है।’’
उन्होंने कहा कि आज जो हो रहा है, उसका ऐतिहासिक महत्व है क्योंकि ‘‘हम जो देख रहे हैं, वह शांति को बढ़ावा देता है।’’
नेतन्याहू ने कहा कि यह क्षेत्र बड़ी संख्या में सामानों के लिए एक प्रवेश बिंदु और निकास बिंदु बनेगा।
उन्होंने कहा, ‘‘दरअसल, सीधे बोलूं, तो यह बहुत अच्छा निवेश है।’’
अदाणी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकनॉमिक जोन (एपीएसईजेड) और इजराइल के गादोत समूह के संघ ने इजराइल में हाइफा बंदरगाह के 1.18 अरब डॉलर में निजीकरण के लिए पिछले वर्ष जुलाई में बोली जाती थी।
खरीद की प्रक्रिया इस वर्ष 11 जनवरी को पूरी की गई, जिसके बाद से बंदरगाह के अद्यतन का कार्य पूरे जोरशोर से चल रहा है। इस साझेदारी में भारतीय भागीदार अदाणी की हिस्सेदारी 70 प्रतिशत और स्थानीय साझेदार का हिस्सा 30 फीसदी है।