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खालिस्तानियों को खत्म करने के लिए India के साथ आया न्यूजीलैंड, जाने फिर क्या हुआ अंजाम

झूठ के पांव नहीं होते हैं और जब सच सामने आता है तो झूठ का सिर झुक जाता है। अब जो खबर आई है वो इसी कहावत को सच साबित कर रही है। हाल ही में न्यूजीलैंड में हुए खालिस्तान के तथाकथित जनमत संग्रह पर न्यूजीलैंड की सरकार की प्रतिक्रिया ने ये साबित कर दिया कि झूठ और नफरत फैलाने वालों की सच्चाई ज्यादा दिन तक छुप नहीं सकती। न्यूजीलैड की सरकार ने खालिस्तानी समर्थन संगठन सिख फॉर जस्टिस यानी एसएफजे के एजेंडे को सिरे से खारिज करते हुए भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को सम्मान देने की बात कही। खालिस्तानी संगठन एसएफजे जिसे भारत में अनलॉफुल एक्टिविटी एक्ट यूएपीए के तहत प्रतिबंधित किया गया है। दुनिया के अलग अलग देशों में ऐसे जनमत संग्रह आयोजित करा रहा है। इससे पहले कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन जैसे देशों में भी इस संगठन ने इसी तरह के शो आयोजित किए जो कि भारत विरोधी एजेंडे का हिस्सा हैं। न्यूजीलैंड के ऑकलैंड में एसएफजे ने अपने समर्थन में इस तथाकथित जनमत संग्रह का आयोजन किया। हालांकि न्यूजीलैंड की सरकार ने तुरंत स्पष्ट कर दिया कि ऐसे आयोजन उनकी नीति और अंतरराष्ट्रीय संबंधों के विरूद्ध हैं। 

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न्यूजीलैंड की सरकार ने कहा कि हम भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करते हैं। हम मानवाधिकार का समर्थक भी हैं। लेकिन वहीं वैद्य और शांतिपूर्ण होने चाहिए। ये प्रतिक्रिया स्पष्ट रूप से दिखाती है कि खालिस्तानी एजेंडा न केवल गैर कानूनी है बल्कि इसे अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी कोई समर्थन नहीं मिल रहा है। खालिस्तान के इस कथाकथित जनमत संग्रह को कवर करने में पाकिस्तानी मीडिया ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी। पाकिस्तानी चैनलों ने इसे बढ़ा चढ़ाकर पेश करने की कोशिश की। लेकिन सच्चाई ये है कि ये केवल भारत विरोधी दुस्प्रचार का हिस्सा है। पाकिस्तान जो खुद बलूचिस्तान और अन्य प्रांतों में मानवाधिकारों का हनन कर रहा, वो ऐसे झूठे अभियानों के जरिए ध्यान भटकाना चाह रहा है। भारत और न्यूजीलैंड के संबंध हमेशा से सकारात्मक और मजबूत रहे हैं। हाल ही में विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर और न्यूजीलैंड के विदेश मंत्री पीटर्स के बीच कई बैठके हुई। 

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न्यूजीलैंड के विदेश मंत्रालय ने कहा कि वह तथाकथित ‘जनमत संग्रह’ से अवगत है और जबकि देश “घर और दुनिया भर में मानवाधिकारों का एक मजबूत समर्थक” है, बशर्ते ऐसी पहल वैध और शांतिपूर्ण हो। एसएफजे कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और यूके जैसे अन्य देशों में इसी तरह के जनमत संग्रह कराता रहा है। विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर और न्यूजीलैंड के विदेश मंत्री विंस्टन पीटर्स की इस साल कई बार मुलाकात हुई, जिसमें इस महीने की शुरुआत भी शामिल है। बातचीत के प्रमुख क्षेत्र शिक्षा, प्रौद्योगिकी, कृषि, गतिशीलता और भारत-प्रशांत की स्थिति पर रहे हैं। 

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