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Military in Niger: तबाही के भंडार पर बैठा है नाइजर, तख्तापलट से कैसे बदल जाएगी पूरी दुनिया

नाइजर में तख्तापलट के बाद से सेना और पश्चिमी देशों के बीच जुबानी जंग छिड़ी हुई है। बज़ौम उग्रवादी इस्लामवादियों के खिलाफ लड़ाई में पश्चिम के कट्टर सहयोगी थे और एक मजबूत आर्थिक भागीदार भी थे। नाइजर एक फ्रांसीसी सैन्य अड्डे की मेजबानी करता है और यूरेनियम का दुनिया का सातवां सबसे बड़ा उत्पादक है। परमाणु ऊर्जा के लिए ईंधन महत्वपूर्ण है, इसका एक चौथाई हिस्सा यूरोप, विशेषकर पूर्व औपनिवेशिक शक्ति फ्रांस को जाता है। अमेरिका और यूरोपियन यूनियन दोनों ने ही सेना के खिलाफ राष्ट्रपति की मदद से बात की है। रूस भी मामले में एंट्री लेते हुए सरकार के खिलाफ सेना का साथ देने की बात कह रहा है। 

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तख्तापलट क्यों हुआ?
अफ्रीकी देश नाइजर में तख्तापलट की कोशिश की गई। जानकारी के मुताबिक, राष्ट्रपति गार्ड के सदस्यों ने राष्ट्रपति मोहम्मद बजौम को हिरासत में ले लिया। नैशनल टेलीविजन पर एक बयान में कर्नल – मेजर अमादौ अब्द्रमाने ने कहा, ‘रक्षा और सुरक्षा बलों ने उस शासन को खत्म करने का फैसला किया है, जिससे आप वाकिफ हैं। ये सुरक्षा में हो रही लगातार गिरावट, खराब सामाजिक और आर्थिक प्रबंधन का नतीजा है।’ उधर, नाइजर की सेना के प्रमुख ने इस तख्तापलट का समर्थन किया है। सेना ने कहा कि देश की सीमाएं बंद कर दी गई और देशव्यापी कर्फ्यू घोषित कर दिया गया। उन्होंने कहा कि देश के सभी संस्थानों को भी निलंबित कर दिया गया है। 

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तख्तापलट का क्षेत्र पर बड़ा प्रभाव 
जब राष्ट्रपति के अंगरक्षकों ने 26 जुलाई को बजौम को बंदी बनाया तब तत्काल स्पष्ट नहीं हो सका कि आखिर हो क्या रहा है और क्या उनका कदम सफल होगा। तख्तापलट करने वाले नेताओं की पहली वास्तविक परीक्षा यह होगी कि क्या बाकी सेना भी उनका साथ दे रही है या नहीं। अगर ऐसा नहीं होता तो हो सकता है कि पूरे देश में बड़े पैमाने पर लड़ाई शुरू हो सकती है लेकिन अब तक लग रहा है कि वह दौर पार हो चुका है और कम से कम अब तक के घटनाक्रम से इसे रक्तहीन तख्तापलट कह सकते हैं। नाइजर दुनिया के सबसे कम विकसित देशों में है जहां पर उच्च गरीबी दर और अस्थिरता तथा तख्तापलट का इतिहास रहा है लेकिन हाल के वर्षों में यह क्षेत्र का अपेक्षाकृत स्थिर देश के रूप में उभरा है और पड़ोसी माली में 2012 में तख्तापलट के बाद से फैले आतंकवाद और हिंसा से निपटने में पश्चिमी देशों का साझेदार रहा है। सिर्फ दो साल पहले नाइजर ने अपने इतिहास में पहली बार लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार द्वारा सत्ता का हस्तांतरण निर्वाचित राष्ट्रपति को किया था। तख्तापलट का क्षेत्र पर भी बड़ा प्रभाव पड़ा है। 
यूरेनियम की सप्लाई होगी प्रभावित
नाइजर यूरेनियम का बहुत  बड़ा भंडार है। वर्ल्ड न्यूक्लियर एसोसिएशन के अनुसार ये देश यूरेनियम उत्पादन के मामले में सातवें नंबर पर है। यहां से अमेरिका, यूरोपियन यूनियन और रूस को भी यूरेनियम का आयात होता है। साल 2019 में इसने ढाई हजार टन के करीब यूरेनियम का निर्यात अमेरिका, फ्रांस, स्पेन, जापान और चीन को किया था। यूरेनियम एक रेडियोएक्टिव तत्व है, जिसका सबसे ज्यादा प्रयोग न्यूक्लिर पावर तैयार करने में होता रहा है। यहीं से हमें बिजली मिलती है। ऐसे में अगर देशों से यूरेनियम सप्लाई रुक जाए तो इसका सीधा असर बिजली पर पड़ेगा। 

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