Breaking News
-
भारत और इंग्लैंड के बीच नागपुर में पहला वनडे खेला गया, जिसे टीम इंडिया ने…
-
पाकिस्तानी अदालत ने प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और उनके बेटे हमजा शहबाज को आठ साल पुराने…
-
डोनाल्ड ट्रंप ने व्हाइट हाउस में कदम रखते ही टैरिफ वॉर छेड़ दी है। अमेरिका…
-
कांग्रेस ने राज्यसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण की आलोचना करते हुए कहा कि…
-
अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो दक्षिण अफ्रीका में आगामी जी20 बैठक में शामिल नहीं होंगे।…
-
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत के संगठनात्मक कार्य के लिए 10 दिवसीय दौरे…
-
पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने साइबर सेक्सटॉर्शन मामले में आरोपी एक महिला को नियमित…
-
भारत और इंग्लैंड के बीच पहले वनडे मैच में टीम इंडिया के स्टार ऑलराउंडर रविंद्र…
-
जेवर विधानसभा में एक और गौशाला बनेगी, निराश्रित गौवंशों से निजात मिलेगी, ग्राम धनौरी में…
-
वाईएसआर कांग्रेस पार्टी (वाईएसआरसीपी) के प्रमुख और आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी…
पेरिस। फ्रांस में हुए संसदीय चुनाव में वामपंथी गठबंधन ने रविवार को धुर-दक्षिणपंथी दलों को शिकस्त देते हुए सबसे ज्यादा सीटें जीतीं। हालांकि, वह बहुमत हासिल करने में नाकाम रहा, जिससे देश में राजनीतिक संकट गहराने के साथ ही त्रिशंकु संसद की आशंका बढ़ गई है। फ्रांस में राजनीतिक उथल-पुथल से देश की अर्थव्यवस्था प्रभावित हो सकती है और यूक्रेन में युद्ध, वैश्विक कूटनीति तथा यूरोप की आर्थिक स्थिरता पर दूरगामी प्रभाव पड़ सकता है। फ्रांस की संसद का कार्यकाल 2027 में खत्म होना था, लेकिन यूरोपीय संघ में नौ जून को बड़ी हार मिलने के बाद राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने समय से पहले संसद भंग कर बड़ा दांव खेला था।
उन्होंने कहा था कि एक बार फिर मतदाताओं के बीच जाने से स्थिति ‘स्पष्ट’ होगी। हालांकि, उनका यह दांव लगभग हर पड़ाव पर उल्टा पड़ता दिखा है। सोमवार को जारी आधिकारिक नतीजों के मुताबिक, संसदीय चुनाव में तीनों प्रमुख गठबंधन में से कोई भी 577 सदस्यीय नेशनल असेंबली में बहुमत के लिए जरूरी 289 सीटों का जादुई आंकड़ा नहीं हासिल कर सका। नतीजों के अनुसार, वामपंथी गठबंधन ‘न्यू पॉपुलर फ्रंट’ 180 से अधिक सीटों पर जीत के साथ पहले स्थान पर रहा, जबकि मैक्रों नीत मध्यमार्गी गठबंधन के खाते में 160 से ज्यादा सीटें गईं और वह दूसरे स्थान पर रहा। वहीं, मरीन ले पेन के नेतृत्व वाली धुर-दक्षिणपंथी पार्टी ‘नेशनल रैली’ और उसके सहयोगी दलों को 140 से अधिक सीटों पर जीत के साथ तीसरे स्थान से संतोष करना पड़ा।
हालांकि, ‘नेशनल रैली’ का यह प्रदर्शन 2022 के उसके प्रदर्शन से कहीं बेहतर है, जब पार्टी को 89 सीटें हासिल हुई थीं। आधुनिक फ्रांस को अभी तक त्रिशंकु संसद का सामना नहीं करना पड़ा है। प्रधानमंत्री गैब्रियल अटल ने कहा, “हमारा देश एक अभूतपूर्व राजनीतिक स्थिति का सामना कर रहा है। वह अगले कुछ हफ्तों में दुनिया का स्वागत करने की तैयारियों में जुटा है।” अटल सोमवार को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफे की पेशकश कर सकते हैं। हालांकि, उन्होंने कहा है कि पेरिस ओलंपिक के मद्देनजर वह ‘जब तक जरूरत है’, तब तक पद पर बने रहने के लिए तैयार हैं। वहीं, मैक्रों के राष्ट्रपति कार्यकाल के तीन साल बचे हुए हैं।