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ओस्लो । जापान पर अमेरिकी परमाणु बम हमले में जीवित बचे और इस वर्ष का नोबेल शांति पुरस्कार जीतने वाले संगठन के प्रतिनिधि तेरुमी तनाका ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से परमाणु धमकी देना बंद करने का आह्वान किया है। अब 92 वर्ष के हो चुके तेरुमी ने नॉर्वे के ओस्लो में एक समाचार सम्मेलन से एक दिन पहले, सोमवार को रूसी राष्ट्रपति पुतिन से परमाणु धमकी देना बंद करने का आह्वान किया। समारोह में उन्हें इस वर्ष का पुरस्कार जीतने वाले, हिरोशिमा और नागासाकी के बमबारी में जीवित बचे लोगों के संगठन निहोन हिडांक्यो की ओर से व्याख्यान देना है।
एक संवाददाता द्वारा यह पूछे जाने पर कि क्या उनके पास पुतिन के लिए कोई संदेश है, तनाका ने कहा कि रूसी नेता बार-बार परमाणु हमले की धमकी देते हैं लेकिन उन्हें यह समझना चाहिए कि परमाणु हथियारों का उपयोग कितना विनाशकारी होगा। उन्होंने कहा कि पुतिन को उनके संगठन का संदेश है कि ‘‘परमाणु हथियार ऐसी चीजें हैं जिनका कभी भी इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए।’’ उन्होंने कहा कि यह बात रूसी नेता को सीधे तौर पर भी बताई गई है। एक अनुवादक के माध्यम से तनाका ने कहा ‘‘मुझे नहीं लगता कि उन्होंने इस बारे में कभी सोचा भी है या इसे समझा भी है। इसलिए, वे इस तरह की बातें कहने में सक्षम हैं। इसलिए मुझे लगता है कि हमें उनके सोचने के तरीके को बदलना है।’’
हिरोशिमा शहर में 6 अगस्त, 1945 को पहले अमेरिकी परमाणु बम विस्फोट में 140,000 लोग मारे गए थे। 9 अगस्त, 1945 को नागासाकी पर दूसरे बम विस्फोट में 70,000 लोग मारे गए थे। 15 अगस्त को जापान ने आत्मसमर्पण कर दिया, जिससे द्वितीय विश्व युद्ध समाप्त हो गया। जापान की क्योदो समाचार एजेंसी का कहना है कि जब अमेरिका ने नागासाकी पर परमाणु बम गिराया था, तब तनाका 13 वर्ष के थे और नागासाकी में रह रहे थे। इस हमले में तनाका को कोई बड़ी चोट नहीं लगी, लेकिन उन्होंने अपने परिवार के पाँच सदस्यों को खो दिया। उन्होंने कहा कि तबाह शहर में जले हुए शवों की तस्वीरें उनकी यादों में अब तक बसी हैं।