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अब चीन में दाखिल होने पर नहीं कराना होगा COVID-19 Test, सरकार ने 30 अगस्त से हटाई पाबंदी

चीन को अब बुधवार से आने वाले यात्रियों से नकारात्मक COVID-19 परीक्षा परिणाम की आवश्यकता नहीं होगी। यह 2020 की शुरुआत से चीन में लगाए गए वायरस प्रतिबंधों को समाप्त करने की दिशा में एक मील का पत्थर है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने सोमवार को एक ब्रीफिंग में बदलाव की घोषणा की। चीन ने वर्षों के कठोर प्रतिबंधों के बाद दिसंबर में ही अपनी “शून्य-सीओवीआईडी” नीति समाप्त कर दी, जिसमें कई बार पूरे शहर में लॉकडाउन और संक्रमित लोगों के लिए लंबे समय तक पृथकवास शामिल था। उन उपायों के हिस्से के रूप में, आने वाले यात्रियों को सरकार द्वारा नामित होटलों में हफ्तों तक संगरोध करना आवश्यक था। प्रतिबंधों ने दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था को धीमा कर दिया, जिससे बेरोजगारी बढ़ गई और अशांति की दुर्लभ घटनाएं हुईं।
 

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समाचार एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, बीजिंग ने कहा कि वह बुधवार से सभी श्रेणियों के वीजा फिर से जारी करना शुरू कर देगा। COVID-19 से बचाव के लिए अंतिम सीमा पार नियंत्रण उपाय को हटाने की यह खबर अधिकारियों द्वारा वायरस पर जीत की घोषणा के लगभग एक महीने बाद आई है। यह निर्णय चीन और शेष विश्व के बीच दोतरफा यात्रा को सामान्य बनाने के एक बड़े प्रयास का हिस्सा है। विदेश मंत्रालय ने मंगलवार को घोषणा की कि चीन के उन हिस्सों में एक बार फिर से वीज़ा-मुक्त प्रवेश उपलब्ध होगा, जहां महामारी से पहले इसकी आवश्यकता नहीं थी। इसमें दक्षिणी पर्यटक द्वीप हैनान, जो रूसियों के बीच लंबे समय से पसंदीदा गंतव्य है, साथ ही शंघाई बंदरगाह से गुजरने वाले क्रूज जहाज भी शामिल होंगे।
 

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उत्तर कोरिया ने कहा कि विश्व भर में महामारी की स्थिति में सुधार आने के मद्देनजर वह विदेशों में रह रहे अपने नागरिकों को स्वदेश लौटने की अनुमति देगा, क्योंकि देश कोविड-19 से जुड़ी पाबंदियों में ढील दे रहा है। सरकारी मीडिया के जरिये जारी एक संक्षिप्त बयान के मुताबिक, आपातकालीन महामारी रोकथाम मुख्यालय ने कहा है कि उत्तर कोरिया स्वदेश लौटने वाले लोगों को उचित चिकित्सा निगरानी के लिए एक सप्ताह पृथकवास में रखेगा। बयान में ज्यादा जानकारी नहीं दी गई है, लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि इस घोषणा के बाद उत्तर कोरियाई छात्रों, कामगारों और अन्य लोगों की वापसी हो जाएगी, जिन्हें महामारी के कारण विदेश में रूकना पड़ गया था। इनमें से ज्यादातर लोग चीन और रूस में फंसे हुए हैं।

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