भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका ने एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं जो दोनों देशों के वैज्ञानिकों और अभियंताओं के बीच अनुसंधान परियोजनाओं के चयन और वित्त पोषण प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करेगा।
विज्ञान और इंजीनियरिंग के सभी गैर-चिकित्सा क्षेत्रों में मौलिक अनुसंधान और शिक्षा का समर्थन करने वाली अमेरिका की एक स्वतंत्र एजेंसी नेशनल साइंस फाउंडेशन (एनएसएफ) ने बुधवार को कहा कि इस व्यवस्था के तहत व्यापक अवसर हैं तथा कंप्यूटर विज्ञान और इंजीनियरिंग, भूविज्ञान, गणित व भौतिक विज्ञान, इंजीनियरिंग, उभरती प्रौद्योगिकियों में सामरिक प्राथमिकताओं और शोधकर्ता हितों को आसानी से समायोजित किया जा सकता है।
एनएसएफ के निदेशक सेतुरामन पंचनाथन ने कहा, “इन अवसरों के निर्माण के माध्यम से, हम विज्ञान और प्रौद्योगिकी समुदायों तथा दुनिया को यह दिखा रहे हैं कि हमारी सरकारें बाधाओं को तोड़ने व सहयोग को सुविधाजनक बनाने के लिए गंभीर हैं।”
भारतीय-अमेरिकी एनएसएफ निदेशक ने कहा कि व्यवस्था के कार्यान्वयन से अमेरिका और भारत के बीच मजबूत वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संबंधों को लाभ होगा।
अमेरिका में भारत के राजदूत तरणजीत सिंह संधू ‘क्रिटिकल एंड इमर्जिंग टेक्नोलॉजी’ (आईसीईटी) डायलॉग पर अमेरिका-भारत पहल के हिस्से के रूप में व्हाइट हाउस में मंगलवार को आयोजित हस्ताक्षर समारोह में एनएसएफ अधिकारियों के साथ शामिल हुए।
संधु ने कहा, “नई कार्यान्वयन व्यवस्था पर हस्ताक्षर करना एक महत्वपूर्ण कदम है। यह हमारी वैज्ञानिक एजेंसियों और संस्थानों को करीब लाएगा और सामरिक व तकनीकी क्षेत्रों में संयुक्त अनुसंधान के लिए नए विकल्प खोलेगा जो हमारे लोगों की समृद्धि पर सकारात्मक प्रभाव डालेगा।