ब्रिटेन में सोमवार को हजारों नर्सों एवं एम्बुलेंसकर्मियों ने हड़ताल कर दी, जिससे देश की स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा गयी। नर्स एवं एम्बुलेंस कर्मियों के श्रमिक संघों का कहना है कि देश की सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली के इतिहास में यह सबसे बड़ी हड़ताल है।
ब्रिटेन में मुद्रास्फीति की दर दहाई अंक में पहुंच चुकी है और इसका मुकाबला करने के लिये कर्मचारी वेतन में बढ़ोतरी करने की मांग कर रहे हैं। महीनों से ब्रिटेन के लोगों के जीवन को अस्त-व्यस्त करने वाली हड़ताल की श्रृंखला में नर्सों और एम्बुलेंसकर्मियों का (काम से) यह ‘वॉकआउट’ नवीनतम प्रकरण है।
नर्सिंग यूनियन का कहना है कि उनके 48 घंटे के (काम से) ‘वॉकआउट’ के दौरान आपातकालीन देखभाल और कैंसर का इलाज जारी रहेगा। हालांकि, इस दौरान हजारों अन्य एप्वाइंटमेंट और अन्य प्रक्रियाओं के स्थगित होने की संभावना है।
एंबुलेंस सेवा का कहना है कि वह दिन भर की हड़ताल के दौरान सबसे अधिक जरूरी कॉल पर कार्रवाई करेगी।
वेतन में बढ़ोतरी की मांग करते हुये शिक्षकों, ट्रेन चालकों, हवाई अड्डे पर कूली का काम करने वालों, सीमा कर्मचारियों, चालक प्रशिक्षक, बस चालक और डाक कर्मचारियों ने भी हाल के महीनों में काम से वाकआउट किया था।
शिक्षकों, स्वास्थ्य कर्मियों और कई अन्य लोगों का कहना है कि पिछले एक दशक में उनके वेतन में वास्तव में गिरावट आयी है, और तेजी से बढ़ती खाद्य वस्तुओं एवं ईंधन की कीमतों ने जीवन-यापन का संकट पैदा कर दिया है।
दिसंबर में ब्रिटेन की वार्षिक मुद्रास्फीति दर 10.5 प्रतिशत थी, जो पिछले 41 साल में सर्वाधिक थी।
देश की कंजर्वेटिव पार्टी की सरकार का तर्क है कि सार्वजनिक क्षेत्र के कर्मचारियों के वेतन में 10 फीसदी या उससे अधिक की वृद्धि करने से मुद्रास्फीति और भी अधिक बढ़ जाएगी।
सरकार के एक मंत्री ने प्रधानमंत्री ऋषि सुनक से इस समस्या के समाधान के लिये मामले में बातचीत करने की अपील की है।