नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दाहाल प्रचंड शुक्रवार को संसद में विश्वासमत हासिल नहीं कर पाए और उसके बाद पूर्व प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली ने नयी सरकार बनाने का दावा पेश किया। पिछले सप्ताह सरकार से कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल-यूनिफाइड मार्क्सवादी लेनिनवादी (सीपीएन-यूएमएल) ने अपना समर्थन वापस ले लिया था।
इस घटनाक्रम के बाद पूर्व प्रधानमंत्री के. पी. शर्मा ओली के नेतृत्व में नयी सरकार के गठन का मार्ग प्रशस्त हो गया है। सीपीएन-यूएमएल के अध्यक्ष ओली ने शुक्रवार को राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल के समक्ष 165 सांसदों के समर्थन से नयी सरकार बनाने का दावा पेश किया। इन सांसदों में उनकी पार्टी के 77 और नेपाली कांग्रेस के 88 सांसद शामिल हैं। इससे पहले देश की 275 सदस्यीय प्रतिनिधि सभा में मतविभाजन के दौरान 69 वर्षीय प्रचंड को 63 वोट मिले, जबकि विश्वासमत प्रस्ताव के विरोध में 194 वोट पड़े।
विश्वासमत हासिल करने के लिए कम से कम 138 वोट की जरूरत थी। प्रतिनिधि सभा के 258 सदस्यों ने मतदान में भाग लिया, जबकि एक सदस्य अनुपस्थित रहा। नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी-माओइस्ट सेंटर (सीपीएन-एमसी) के अध्यक्ष प्रचंड 25 दिसंबर, 2022 को पद संभालने के बाद चार बार विश्वासमत हासिल करने में सफल रहे, लेकिन इस बार उन्हें असफलता मिली। इससे नेपाली कांग्रेस और सीपीएन-यूएमएल के लिए नयी गठबंधन सरकार बनाने का मार्ग प्रशस्त हो गया।
पूर्व प्रधानमंत्री के. पी. शर्मा ओली के नेतृत्व वाली सीपीएन-यूएमएल ने सदन में सबसे बड़ी पार्टी नेपाली कांग्रेस के साथ सत्ता-साझेदारी समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद पिछले सप्ताह प्रचंड के नेतृत्व वाली सरकार से समर्थन वापस ले लिया था। नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा पहले ही अगले प्रधानमंत्री के रूप में ओली का समर्थन कर चुके हैं। देउबा और ओली ने प्रचंड के नेतृत्व वाली सरकार को अपदस्थ करने और नयी गठबंधन सरकार बनाने के लिए सोमवार को सात सूत्री समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। समझौते के अनुसार, ओली और देउबा प्रतिनिधि सभा की शेष अवधि के दौरान बारी-बारी से प्रधानमंत्री पद साझा करेंगे। पहले चरण में ओली डेढ़ साल के लिए प्रधानमंत्री बनेंगे और उसके बाद बाकी अवधि के लिए देउबा प्रधानमंत्री रहेंगे।