तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन ने कहा कि कश्मीर मुद्दे को कश्मीरी लोगों की आकांक्षाओं को ध्यान में रखते हुए भारत और पाकिस्तान के बीच बातचीत के माध्यम से हल किया जाना चाहिए। राष्ट्रपति एर्दोगन दो दिवसीय यात्रा पर पाकिस्तान में हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ के साथ एक-पर-एक और प्रतिनिधिमंडल वार्ता के बाद ये टिप्पणियाँ कीं। नेताओं ने दोनों पक्षों के बीच 24 समझौतों और एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर समारोह भी देखा। इसके बाद, उन्होंने अपने द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने का संकल्प व्यक्त करते हुए मीडिया में बयान पढ़ा, इस दौरान एर्दोगन ने काश के बारे में भी बात की।
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भारत ने बार-बार इस बात पर जोर दिया है कि केंद्रशासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और लद्दाख देश का अभिन्न अंग थे, हैं और ‘हमेशा रहेंगे’। भारत द्वारा 5 अगस्त, 2019 को संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त करने, जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म करने और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने के बाद दोनों देशों के बीच संबंधों में खटास आ गई है। अपने बयान में राष्ट्रपति एर्दोआन ने पाकिस्तान के साथ संबंधों को बढ़ावा देने में भी गहरी दिलचस्पी दिखाई। उन्होंने कहा, हमारी परिषद के सातवें सत्र में, जिसे हमने अभी-अभी समाप्त किया है, हम अपने संबंधों को और मजबूत करने पर सहमत हुए हैं। इस यात्रा के दौरान, हमने व्यापार, जल संसाधन, कृषि, ऊर्जा, संस्कृति, परिवार और सामाजिक सेवाओं के साथ-साथ विज्ञान, बैंकिंग, शिक्षा, रक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्रों में कुल 24 समझौतों और सहमति पत्रों पर हस्ताक्षर किए हैं।
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इस अवसर पर शहबाज ने कहा कि पाकिस्तान तुर्किये के नेता का दूसरा घर है और यहां पांच साल बाद उनका फिर से आना अद्भुत है। उन्होंने भूकंप और बाढ़ के दौरान पाकिस्तान के साथ खड़े रहने के लिए तुर्किये का आभार जताया। शहबाज ने कहा कि आज आपकी पाकिस्तान यात्रा ने हमारे भाईचारे के संबंधों को एक नया ऊंचाई दी है।