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Uyghur Muslims के लिए आवाज उठाने वाला संगठन नोबेल पुरस्कार के लिए नामांकित, चीन ने जताई नाराजगी

उइगर मुस्लिमों के अधिकारों के लिए काम करने वाली संगठन को साल 2023 के नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामित किया गया है। जर्मनी स्थित उईघुर अधिकार समूह वर्ल्ड उईघुर कांग्रेस को शांति, लोकतंत्र और उइगर व अन्य तुर्क लोगों की दुर्दशा के लिए अपने काम के लिए 2023 के नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया है। नामांकन पत्र के अनुसार ये कैटेगरी “दमनकारी शासन” के रूप में वर्णित है। कनाडा के सांसदों और नॉर्वे में युवा उदारवादियों के एक नेता, नॉर्वे के वेंस्ट्रे राजनीतिक दल के युवा विंग ने संगठन को नामांकित किया।

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क्या काम करता है संगठन 

जर्मनी स्थित वर्ल्ड उइगुर कांग्रेस शांति, लोकतंत्र और उइगुर मुस्लिमों के कल्याण के लिए काम करती है। विश्व उईघुर कांग्रेस का मुख्य उद्देश्य उइघुर लोगों के लिए लोकतंत्र, मानवाधिकारों और स्वतंत्रता को बढ़ावा देना और शांतिपूर्ण, अहिंसक और लोकतांत्रिक साधनों के उपयोग का समर्थन करना है ताकि उइगरों को आत्मनिर्णय हासिल करने में मदद मिल सके। हालांकि समिति ने नियमों के कारण नोबेल शांति नामांकित व्यक्तियों के नामों का खुलासा नहीं किया, समूह को नामांकित करने वाले कनाडा के संसद के दो सदस्यों में से एक एलेक्सिस ब्रुनेल-ड्यूसेप ने नाम का खुलासा किया और वीओए के साथ पत्र साझा किया। 

चीन ने जताई नाराजगी

नामांकन पत्र में उल्लेख किया गया है कि विश्व उइगर कांग्रेस ने चीनी सरकार द्वारा “भौतिक, धार्मिक, भाषाई और सांस्कृतिक दमन के अभियान” ने वैश्विक ध्यान आकर्षित किया है। वहीं वर्ल्ड उइगर कांग्रेस के नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामित करने की खबर पर नाजाजगी जाहिर की है। वॉशिंगटन स्थित चीनी दूतावास ने इसकी आलोचना की है। चीनी दूतावास ने कहा कि हम उम्मीद करते हैं कि ये विश्व शांति और विकास में योगदान देगा ना कि कुछ राजनैतिक हथियार के रूप में काम करेगा। 

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