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फंदा या काल कोठरी, क्या है इमरान के नसीब में? Imran Khan को अदालतों से राहत मिलती देख Pakistan Army Chief अब खुद देंगे पूर्व प्रधानमंत्री को सख्त सजा!

पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को भले विभिन्न अदालतों से जमानत मिल गयी हो लेकिन उनके समर्थकों ने सेना के अधिकारियों और सत्तारुढ़ दल के नेताओं से जुड़े प्रतिष्ठानों पर जिस तरह का हंगामा और तोड़फोड़ किया उससे नाराज सेना और सरकार ने इमरान खान तथा उनके समर्थकों को तगड़ा सबक सिखाने की तैयारी कर ली है। सेना और पाकिस्तान सरकार का रुख देखकर लगता है कि वह किसी भी सूरत में इमरान खान और उनकी पार्टी के कार्यकर्ताओं को बख्शने के मूड़ में नहीं हैं। पाकिस्तान की सेना और सरकार ने इस बात की भी तैयारी कर ली है कि आगे से इमरान खान के समर्थक हंगामा नहीं करें और करें तो उन्हें उनके किये की सख्त सजा तत्काल दी जा सके। इमरान खान के बारे में तो इस प्रकार का भी दावा किया जा रहा है कि सेना की ओर से उन्हें फांसी की सजा या आजीवन कठोर कारावास की सजा दी जायेगी जिसका ऐलान कभी भी हो सकता है। बताया जा रहा है कि अदालतों से इमरान खान को राहत मिलते देख उन्हें सेना कानूनों के तहत सजा दिये जाने का फैसला किया गया है।
पाकिस्तानी सेना एक्शन के लिए तैयार
बताया जा रहा है कि पाकिस्तान सेना के शीर्ष नेतृत्व ने सैन्य संस्थानों पर हालिया हमलों के लिए जिम्मेदार लोगों को कानून के कठघरे में खड़ा करने का संकल्प लेते हुए कठोर ‘पाकिस्तान सेना अधिनियम’ और ‘आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम’ के तहत मुकदमे चलाने का फैसला किया है। इन हमलों में रावलपिंडी में जनरल मुख्यालय पर हुआ हमला भी शामिल है। गौरतलब है कि इस्लामाबाद उच्च न्यायालय परिसर में गत मंगलवार को रेंजर्स द्वारा पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की गिरफ्तारी से पाकिस्तान में अशांति फैल गई जो शुक्रवार तक जारी रही। इस दौरान प्रदर्शनकारियों द्वारा कई सैन्य और सरकारी प्रतिष्ठानों को नुकसान पहुंचाया गया। हिंसा में कई लोगों की जान गई और कई अन्य घायल भी हुए। देश के इतिहास में पहली बार रावलपिंडी में सेना मुख्यालय पर धावा बोला गया और इमरान खान की गिरफ्तारी के विरोध में उनके समर्थकों ने लाहौर में ऐतिहासिक कोर कमांडर हाउस में आग लगा दी थी।
देखा जाये तो पाकिस्तानी सेना द्वारा कठोर सैन्य अधिनियम और आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम के तहत कार्रवाई करने का फैसला एक गंभीर कदम है। इसमें इमरान खान और उनकी पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के समर्थकों के खिलाफ ऐसे आरोप तय किए जा सकते हैं, जिसके लिए मौत की सजा या आजीवन कारावास दिए जाने का भी प्रावधान है। पाकिस्तानी सेना की मीडिया शाखा ‘इंटर-सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस’ (आईएसपीआर) द्वारा जारी एक बयान के अनुसार रावलपिंडी में जनरल मुख्यालय में सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर की अध्यक्षता में ‘स्पेशल कोर कमांडर्स कॉन्फ्रेंस’ का आयोजन किया गया, जिसमें संकल्प किया गया कि सैन्य प्रतिष्ठानों पर हमलों के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कोई संयम नहीं बरता जाएगा। बयान के अनुसार, ‘स्पेशल कोर कमांडर्स कॉन्फ्रेंस’ में हिस्सा लेने वालों ने सैन्य प्रतिष्ठानों तथा सार्वजनिक व निजी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने की राजनीतिक रूप से प्रेरित घटनाओं की निंदा की। बयान में कहा गया कि फोरम ने दृढ़ संकल्प व्यक्त किया कि सैन्य प्रतिष्ठानों के खिलाफ हमला करने वालों के खिलाफ पाकिस्तान सेना अधिनियम और आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम सहित पाकिस्तान के संबंधित कानूनों के तहत मुकदमें चलाए जाएंगे।
पाकिस्तानी संसद की तैयारी
दूसरी ओर, पाकिस्तान की नेशनल असेंबली ने सर्वसम्मति से एक विधेयक पारित किया है जिसमें संसद की अवमानना करने के दोषी पाए गए व्यक्तियों को छह महीने तक की जेल या 10 लाख रुपये का जुर्माना या दोनों सजा हो सकती हैं। मजलिस-ए-शूरा (संसद) अवमानना विधेयक को प्रक्रिया और विशेषाधिकार नियम संबंधी स्थायी समिति के अध्यक्ष राणा मोहम्मद कायम नून की ओर से पेश किया गया। इसके तहत नेशनल असेंबली के अध्यक्ष या सीनेट के अध्यक्ष ऐसे मामलों को विशेष अवमानना समिति को यह निर्धारित करने के लिए भेज सकते हैं कि किसी व्यक्ति पर अवमानना का आरोप लगाया जाना चाहिए या नहीं। कानून बनने के 30 दिन के अंदर अध्यक्ष एक अवमानना समिति गठित करेंगे जिसमें 24 सदस्य होंगे। इस समिति में संसद के दोनों सदनों का समान प्रतिनिधित्व होगा। सदन के नेता की ओर से 14 सदस्यों को नामित किया जाएगा, जबकि 10 सदस्यों को विपक्ष के नेता नामित करेंगे। नेशनल असेंबली सचिवालय के सचिव अवमानना समिति के सचिव के रूप में कार्य करेंगे और निर्णय बहुमत से किए जाएंगे। इस समिति की सिफारिशों पर सदन के पास अधिनियम के तहत निर्धारित सज़ा देने की शक्ति होगी।
पाक प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ का वार
उधर, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने कहा है कि नौ मई की घटना को पाकिस्तान के इतिहास के ‘‘सबसे काले अध्याय’’ के रूप में याद किया जाएगा। इसके साथ ही उन्होंने उन नेताओं को न्याय की जद में लाने का संकल्प लिया जिन्होंने सैन्य प्रतिष्ठानों को निशाना बनाने और ‘‘शहीदों का अपमान’’ करने की योजना बनाई। शहबाज शरीफ ने राष्ट्रीय सुरक्षा समिति की बैठक में कहा, “मेरा मानना है कि जिन्होंने भी इसकी योजना बनाई और तोड़फोड़ को उकसाया … वे निश्चित रूप से आतंकवाद के दोषी हैं, और वे वह करने में कामयाब रहे जो पाकिस्तान का असली दुश्मन पिछले 75 साल में नहीं कर सका।” यहां बाइट लग जायेगी। हम आपको बता दें कि इस बैठक में सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर सहित कई शीर्ष अधिकारी शामिल हुए।

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इमरान को मिली जमानत
इस बीच, पाकिस्तान के एक उच्च न्यायालय ने पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को हिंसा भड़काने और राजद्रोह से संबंधित दो मामलों में मिली जमानत आठ जून तक के लिए बढ़ा दी है। इस्लामाबाद उच्च न्यायालय (आईएचसी) की एकल पीठ ने राज्य के संस्थानों के शीर्ष अधिकारियों के खिलाफ आरोपों और इमरान खान के समर्थकों द्वारा पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) के नेता मोहसिन रांझा के साथ मारपीट से संबंधित मामलों की सुनवाई की। मुख्य न्यायाधीश आमेर फारूक ने वकीलों की दलीलें सुनने के बाद इमरान खान की जमानत आठ जून तक बढ़ा दी। इस बीच, लाहौर उच्च न्यायालय ने इमरान खान की उस याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया, जिसमें पिछले सप्ताह अल कादिर ट्रस्ट मामले में उनकी गिरफ्तारी के बाद पंजाब प्रांत में उनके खिलाफ दर्ज सभी मामलों में जमानत देने का अनुरोध किया गया है।
पाक के प्रधान न्यायाधीश की सफाई
दूसरी ओर, पाकिस्तान के प्रधान न्यायाधीश उमर अता बांदियाल ने पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान का उच्चतम न्यायालय में स्वागत करने के लिए हुई उनकी आलोचनाओं पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह अदालती शिष्टाचार के तहत था और इसके कोई राजनीतिक निहितार्थ नहीं थे। दरअसल इमरान खान को जब उच्चतम न्यायालय में पेश किया गया था तब बांदियाल ने उनसे कहा था कि आपको देख कर अच्छा लगा। इसके बाद प्रधान न्यायाधीश की सत्तारुढ़ दल ने निंदा की थी। प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की ओर से आयोजित मंत्रिमंडल की एक बैठक में शरीफ ने कहा था कि जिस प्रकार से बांदियाल ने इमरान खान का स्वागत किया, वह देश की न्याय पालिका पर एक धब्बा है। इस पर प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ”इमरान खान का स्वागत करने के लिए मेरी आलोचना की जा रही है, हालांकि मैं इस वाक्य का अक्सर इस्तेमाल करता हूं।’’

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