पैसे पैसे को मोहताज पाकिस्तान इन दिनों आतंक के साथ दोहरी मार झेल रहा है। पाकिस्तान की आर्थिक हालत इतनी खराब हो गई है कि 15 दिनों के बाद मुल्क के वजूद पर ही खतरा है। इसलिए वहां के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने इमरान खान जैसे कट्टर दुश्मन को मिलने के लिए बुला लिया। 7 फरवरी का दिन इसके लिए तय किया गया। बर्बाद मुल्क के दो नेताओं की मुलाकात एक बहुत बड़ी खबर है। लेकिन आतंकवाद को पालने-पसोने वाले मुल्क के लिए अब उसका यही रवैया भारी पड़ रहा है। इसलिए अब आतंकवाद पर लगाम लगाने के लिए उसने तालिबान से मदद की गुहार लगाई है। एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, हताश पाकिस्तान ने हाल ही में पेशावर मस्जिद नरसंहार सहित देश में आतंकी हमलों की जिम्मेदार प्रतिबंधित पाकिस्तानी तालिबान संगठन पर लगाम लगाने के लिए अफगान तालिबान प्रमुख हैबुतल्लाह अखुंदजादा की मदद मांगी है। पाकिस्तान आतंकवाद चोट से त्राहिमाम कर रहा है और वो भी ज्यादातर देश के खैबर पख्तूनख्वा इलाके में इसका असर देखने को मिल रहा है।
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तालिबान से मांगी मदद
पेशावर मस्जिद में हुए हमले में तालिबान के एक आत्मघाती हमलावर ने नमाज के दौरान खुद को उड़ा लिया, जिसमें 101 लोग मारे गए और 200 से अधिक घायल हो गए। द एक्सप्रेस ट्रिब्यून अखबार के मुताबिक, शुक्रवार को शीर्ष समिति की बैठक के दौरान, पाकिस्तान के नागरिक और सैन्य नेतृत्व ने तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) को नियंत्रित करने के लिए अफगान तालिबान प्रमुख हैबुतल्लाह अखुंदजादा के हस्तक्षेप की मांग करने का फैसला किया।
नरसंहार को टाल पाने में विफल रहने की बात स्वीकार
रिपोर्ट में कहा गया कि शुक्रवार की बैठक में भाग लेने वाले पाकिस्तान के गृह मंत्री राणा सनाउल्लाह ने कहा कि पेशावर मस्जिद हमले के मुख्य साजिशकर्ता अफगानिस्तान में हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि संघीय सरकार इस मुद्दे को अपने अफगान समकक्षों के समक्ष उठाएगी। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने शुक्रवार को पेशावर नरसंहार को टाल पाने में विफल रहने की बात स्वीकार की और इस खतरे से निपटने के लिए राष्ट्रीय एकता का आह्वान किया।