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पाकिस्तान : गोपनीय जानकारी लीक मामले में इमरान खान और शाह महमूद कुरैशी पर आरोप तय किए गए

पाकिस्तान की एक विशेष अदालत ने गोपनीय राजनयिक दस्तावेज (सिफर) लीक करने और देश के गोपनीयता कानून का उल्लंघन करने से जुड़े मामले में पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान और पूर्व विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी पर सोमवार को आरोप तय किए।
इमरान (71) को पिछले साल मार्च में वाशिंगटन स्थित पाकिस्तानी दूतावास द्वारा भेजे गए एक गुप्त राजनयिक दस्तावेज (सिफर) को लीक करके आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम का उल्लंघन करने के आरोप में मामला दर्ज होने के बाद इस वर्ष अगस्त में गिरफ्तार किया गया था।
संघीय जांच एजेंसी (एफआईए) ने 30 सितंबर को खान और कुरैशी के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया था, जिन्होंने इसकी प्रतियों पर हस्ताक्षर किए थे।

एफआईए ने आरोप पत्र में आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम की धारा 5 और 9 को शामिल किया है, जिसके तहत दोषी पाए जाने पर मौत की सजा या दो से 14 साल की कैद हो सकती है।
इमरान के वकील उमैर नियाजी ने मीडिया से कहा कि उनके मुवक्किल ने अपने ऊपर लगाए गए सभी आरोपों को खारिज किया है। उन्होंने बताया कि निचली अदालत के आदेश को उच्च न्यायालय में चुनौती दी जाएगी।
पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी के प्रमुख इमरान ने उक्त दस्तावेज का इस्तेमाल यह बताने के लिए किया था कि उनकी सरकार एक विदेशी साजिश के परिणामस्वरूप गिरा दी गई थी।
विशेष अदालत के न्यायाधीश अबुल हसनत जुल्करनैन ने रावलपिंडी की अडियाला जेल में मामले की सुनवाई की।

आरोप तय किए जाने के बाद विशेष अदालत ने कार्यवाही 27 अक्टूबर तक के लिए टाल दी, जब वह औपचारिक रूप से मामले की सुनवाई शुरू करेगी।
संघीय जांच एजेंसी (एफआईए) के विशेष अभियोजक शाह खावर ने मीडिया से कहा, “चूंकि, आज की सुनवाई में सिर्फ आरोप तय किए जाने थे, इसलिए आदेश खुली अदालत में पढ़ा गया।”
वहीं, नियाजी ने कहा कि इमरान ने अपने ऊपर लगाए गए आरोपों पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने पीटीआई प्रमुख के हवाले से कहा कि उनके (इमरान) खिलाफ साजिश रची गई, उनकी सरकार गिरा दी गई और जिस बैठक पर सवाल उठाए जा रहे हैं, उसका कोई ब्योरा उपलब्ध नहीं है।

नियाजी ने कहा कि इमरान को ‘लंदन प्लान’ के बारे में पहले से ही पता है, जिसका मकसद पीटीआई को ‘खत्म’ करना है। उन्होंने आरोप लगाया, “नवाज शरीफ अंपायर के साथ मिलकर खेलते हैं। वह तब तक चुनाव नहीं लड़ सकते, जब तक उन्हें अपनी पसंद का अंपायर न मिल जाए।”
नियाजी के मुताबिक, इमरान का यह भी कहा है कि “अगर किसी बड़े चोर को आजाद करना है, तो अडियाला जेल में बंद आरोपी को भी रिहा किया जाना चाहिए।”
इमरान की विधि टीम में शामिल वकील उस्मान रियाज गुल ने कहा कि उन्होंने अदालत को सूचित किया है कि भले ही अभियोग की तारीख तय हो गई हो, लेकिन गवाहों के पूरे बयान और केस मेमो प्राप्त होने तक संदिग्धों पर आरोप तय नहीं किए जा सकते।
गुल ने कहा कि अदालत ने बचाव पक्ष की आपत्तियां खारिज कर दीं और इमरान तथा कुरैशी पर आरोप तय कर दिए।

उन्होंने बताया, “पीटीआई प्रमुख और कुरैशी ने स्पष्ट किया है कि वे तब तक आरोपों पर प्रतिक्रिया नहीं दे सकते, जब तक कि उन्हें मामले से जुड़े सभी दस्तावेज हासिल नहीं हो जाते।”
गुल ने बताया कि अडियाला जेल में व्यायाम के लिए साइकिल उपलब्ध कराने की पीटीआई प्रमुख की गुजारिश स्वीकार कर ली गई है।

एफआईए ने इमरान और कुरैशी के खिलाफ 30 सितंबर को आरोप पत्र पेश किया था।
अदालत पहले 17 अक्टूबर को इमरान पर आरोप तय करने वाली थी, लेकिन पूर्व प्रधानमंत्री के वकीलों की इस आपत्ति के बाद प्रक्रिया में देरी हुई कि उन्हें आरोपपत्र की प्रतियां उपलब्ध नहीं कराई गई हैं।
इमरान पांच अगस्त को तोशाखाना मामले में लाहौर से गिरफ्तार किए जाने और 29 अगस्त को जमानत मिलने के बावजूद सिफर मामले की वजह से जेल में बंद हैं। पिछले साल अप्रैल में अपदस्थ होने के बाद उनके खिलाफ 150 से ज्यादा मामले दर्ज किए जा चुके हैं।

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