इस्लामाबाद। पाकिस्तान के उच्चतम न्यायालय ने पूर्व प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो को 1979 में दी गई विवादास्पद मौत की सजा पर फिर से विचार करने का आग्रह करने वाले लंबे समय से लंबित मामले की सुनवाई मंगलवार को अगले साल जनवरी तक के लिए स्थगित कर दी।
पूर्व राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने दो अप्रैल 2011 को उच्चतम न्यायालय परामर्श अधिकार क्षेत्र के तहत उनके ससुर भुट्टो को दी गई मौत की सज़ा पर पुनर्विचार पर राय के लिए एक मामला दायर किया था।
इस मामले पर प्रधान न्यायाधीश काज़ी फैज़ ईसा की अध्यक्षता में शीर्ष अदालत की नौ सदस्यीय पीठ ने सुनवाई की।
भुट्टो (51) को हत्या के एक मामले में उकसाने का दोषी ठहराए जाने के बाद 1979 में फांसी दे दी गई थी। उच्चतम न्यायालय की सात-सदस्यीय पीठ द्वारा दोषसिद्धि को बरकरार रखने के बाद फांसी की सजा दी गई थी।
कई लोगों का मानना है कि तत्कालीन सैन्य तानाशाह जनरल जियाउल हक के दबाव के कारण सात सदस्यीय पीठ ने यह फैसला बरकरार रखा था। हक ने 1977 में भुट्टो की सरकार का तख्तापलट कर दिया था।
इस मामले में पूर्व में जनवरी 2012 में तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश इफ्तिखार मोहम्मद चौधरी की अध्यक्षता वाली 11 न्यायाधीशों की पीठ ने सुनवाई की थी।
भुट्टो के नाती बिलावल भुट्टो जरदारी के अनुरोध पर मामले की मंगलवार की कार्यवाही का सीधा प्रसारण किया गया। अदालत ने अपनी सहायता के लिए नौ और न्याय मित्र भी नियुक्त किए।
वकील अहमद रज़ा कसूरी ने ही भुट्टो के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई थी कि पूर्व प्रधानमंत्री के निर्देश पर उनके पिता की हत्या की गई थी। वह भी पीठ के सामने पेश हुए और अदालत से गुजारिश की कि उनकी दलीलें भी सुनी जाएं। उनकी याचिका स्वीकार कर ली गई।
प्रधान न्यायाधीश ईसा ने टिप्पणी की, प्रत्येक कानूनी उत्तराधिकारी को सुनवाई का अधिकार है।
अदालत ने पहले से नियुक्त किए गए न्याय मित्रों से यह बताने के लिए कहा कि मामले में अदालत से किस तरह की राय की जरूरत है और मामला कैसे सुनवाई योग्य है।
प्रधान न्यायाधीश ईसा ने कहा कि अदालत ने अपने फैसले के खिलाफ अपील को पहले ही खारिज कर दिया था और फैसले को अमल में लाया जा चुका है।
उन्होंने कहा, “उच्चतम न्यायालय इस मामले पर किसी अन्य अपील पर सुनवाई नहीं कर सकता। हम उस मामले की दोबारा सुनवाई कैसे कर सकते हैं जो बंद हो चुका है?”
पीठ ने अपने आदेश में जियो न्यूज चैनल को पूर्व प्रधानमंत्री दिवंगत भुट्टो के साक्षात्कारों और वीडियो क्लिप का रिकॉर्ड जमा करने का भी निर्देश दिया।
बाद में अदालत ने मामले की सुनवाई जनवरी 2024 तक के लिए स्थगित कर दी और अगले महीने से मामले पर रोजाना सुनवाई करने की घोषणा की।