शून्य से नीचे तापमान और बर्फीले तूफान के बीच तुर्की और सीरिया में ऐसा भूचाल आया जिसने दुनिया को डरा दिया। एक के बाद एक पांच भूकंप के झटकों ने सबकुछ खत्म कर दिया। हजारों लोगों की मौत हो गई। दुनिया ने तुर्की और सीरिया के लिए मदद के हाथ बढ़ाए। दुख की इस घड़ी में तुर्की और सीरिया का कट्टर दुश्मन इजरायल भी आगे आया। विरोधों के बावजूद भारत ने भी बिना समय बर्बाद किए तुर्की को मदद भेजी। 7 फरवरी को भारत ने अपने वादे के अनुसार, भूकंप प्रभावित तुर्की को राहत और मानवीय सहायता भेजी। भारतीय वायु सेना के विमान के तुर्की में उतरने के बाद भारत में तुर्की के राजदूत फिरत सुनेल ने नई दिल्ली को सच्चा दोस्त बताया।
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भारत से एनडीआरएफ की दवांईयां और मेडिकल टीम का पहला जत्था तुर्की पहुंच चुका है। भारतीय वायुसेना का सी 17 ग्लोब मास्टर विमान ये राहत साम्रगी लेकर पहुंचा है। भारत की संसद में भी तुर्की में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि दी गई। आपदाग्रस्त राष्ट्र की सहायता के लिए भारत के प्रयासों पर रिपोर्टिंग करते हुए, वन इंडिया, फ़र्स्टपोस्ट, न्यूज़ 18, ज़ी न्यूज़, फ्री प्रेस जर्नल, हिंदी दैनिक जागरण आदि सहित कई मीडिया रिपोर्ट में बताया कि पाकिस्तान ने तुर्की जाने वाले भारतीय वायु सेना के विमानों को एयरस्पेस नहीं दिया है। जिसके चलते उसे कई चक्कर लगाकर दूसरे रूट से तुर्की में उतरना पड़ा।
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इन रिपोर्टों में न्यूज 18 के हवाले से बताया गया है कि भारतीय राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) की टीमें जो पहले से ही आधुनिक ड्रिलिंग उपकरण, मेडिक्स और बचाव साम्रगी के साथ तुर्की के अदाना हवाई अड्डे पर उतर चुकी हैं। उन्हें एक चक्कर लगाना पड़ा क्योंकि पाकिस्तान ने अपने हवाई क्षेत्र का उपयोग की अनुमति से इनकार कर दिया। हालांकि, यह पाया गया कि अंकारा जाने के लिए भारतीय विमान पाकिस्तान से होकर नहीं गए थे। ऐसा माना जाता है कि भारतीय प्रतिष्ठान ने कभी भी पाकिस्तान के उड्डयन प्राधिकरण से अपने सैन्य विमानों को उनके हवाई क्षेत्र के माध्यम से भेजने के लिए प्राधिकरण नहीं मांगा।